राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार दुनिया के सबसे ताकतवर मुस्लिम संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड को अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन घोषित करने के फैसले पर काम कर रहे हैं. मुस्लिम ब्रदरहुड अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुसलमानों का सबसे बड़ा राजनीतिक और सामाजिक संस्था है.
मुस्लिम ब्रदरहुड ने लगभग एक दशक पहले आधिकारिक तौर पर हिंसा का रास्ता छोड़ने का ऐलान किया था. और 2011 में मिस्र में राष्ट्रपति होस्नी मुबारक के पदमुक्त होने के बाद हुए चुनाव में जीत दर्ज की थी.
मुस्लिम ब्रदरहुड से जुड़ी संस्थाएं तुनीसिया और तुर्की में राजनीतिक दलों में शामिल हो चुकी हैं. इसके बावजूद पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा पर लगातार दबाव बना था कि वह मुस्लिम ब्रदरहुड को अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन घोषित करें.
मुस्लिम ब्रदरहुड शरियत के मुताबिक सामाजिक व्यवस्था की बात करती है. उसके कुछ पुराने सदस्य संस्थाएं और शाखाएं- जिसमें फिलिस्तीन का आतंकी संगठन हमस शामिल है हमेशा से आतंकवाद का सहारा लेती रही हैं.
न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रस्ताव पर काम कर रहे डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकारों का मानना है कि मुस्लिम ब्रदरहुडके एक उग्र संगठन चोरी-छिपे अमेरिका में घुसपैठ बना ली है जिससे वहां शरियत कानून की मांग को मजबूत किया जा सके. ट्रंप के इन सलाहकारों के मुताबिक अब इनके खिलाफ कड़े कदम उठाने का वक्त आ गया है.
ट्रंप प्रशाषन के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि मुस्लिम ब्रदरहुड को आतंकी संगठन घोषित करने से खाड़ी देशों से उसका रिश्ता बेहद खराब हो जाएगा. हालांकि मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात के कुछ नेताओं ने अपने अंदरूनी विरोधियों को काबू करने के लिए डोनाल्ड ट्रंप से मुस्लिम ब्रदरहुड पर लगाम लगाने की अपील की है.
मुस्लिम ब्रदरहुड को आतंकी संगठन घोषित करने के साथ-साथ ट्रंप प्रशाषन के सामने ईरान के इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प को भी अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन घोषित करने का प्रस्ताव है.
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