
बर्मा और थाइलैंड में रहने वाली कायन जनजाति की महिलाएं अपने पहनावे की वजह से दुनियाभर में मशहूर हैं। ये महिलाए सुंदर दिखने के लिए अपनी गर्दन को लंबा कर देती हैं। लेकिन इसके लिए छोटी सी उम्र से ही इन्हें बेहद दर्द झेलना पड़ता है।

कायन जनजाति में पांच साल की उम्र से ही छोटी बच्चियों की नाजुक गर्दन में भारी-भारी कांस्य के छल्ले पहनाए जाते हैं। उम्र बढ़ने के साथ ही छल्लों का भार और उनका आकार भी बढ़ता जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि इस जनजाति की महिलाओं की गर्दन की लंबाई बढ़ जाए। जिससे कायन महिलाएं और अधिक सुंदर और आकर्षक लगे।

हालांकि लोगों का ये भी मानना है कि इस प्रथा का उद्देश्य महिलाओं को दास-प्रथा से बचाने के लिए था। ताकि वह भद्दी और बदसूरत दिखाई दे। गर्दन में पहने जाने वाले इन छल्लों का वजन 5 किलो तक होता है। वहीं एक बार अगर कोई महिला इस छल्ले को पहन ले तो उसे फिर कभी उतारा नहीं जा सकता।
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