
आज के आधुनिक युग में जहां लोग चमत्कार को अंध विश्वास मानते हैं वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इन सब बातों को मानते हैं और उनमें विश्वास भी करते हैं। ऐसा ही एक राज जिस पर विश्वास करना मुश्किल हो कि एक कुंआ सूनी कोख वाली महिलाओं की गोद भर सकता है, लेकिन यह सच है। यह एक ऐसा अनोखा कुंआ है जिसके पानी से नहाने वाली महिलाओं की गोद भर जाती है। इसी के चलते सैंकड़ों सालों से यह कुंआ बच्चा नहीं होने वाली महिलाओं के लिए एक वरदान बना हुआ है।
निभानी होती है ये रस्म
पाकिस्तान के सियालकोट जिले के फर-फलंग ग्रामीण इलाके में स्थित यह कुंआ 'पूरन दी खोई' (पूरन का कुआं) नाम से सदियों से मशहूर है। माना जाता है कि बच्चा नहीं होने वाली महिलाएं यदि लगातार तीन रविवार को इस कुंए के पानी से स्नान करे और बाद में अपनी चुनरी अथवा ओढऩी वहां स्थित एक पेडक़र बांधकर बच्चा होने की मन्नत मांगे तो उसकी गोद भर जाती है।
रविवार को मेले जैस माहौल
सूनी कोख वाली महिलाओं को बच्चा देकर उनकी गोद भरने वाले इस कुंए पर रविवार के दिन किसी मेले जैसा माहौल रहता है। स्थानीय लोगों के मुताबिक इस दिन देश के कोने-कोने से बच्चा होने की आस लगाने वाले दंपत्त्ति यहां आते है और यह रस्म पूरी करके जाते हैं।
सदियों पुराना है कुंआ
हिस्ट्री ऑफ सियालकोट नामक किताब लिखने वाले राशिद निआज के मुताबिक यह कुंआ और इस पर निभाई जाने वाली रस्में सदियों पुरानी है। राशिद ने कुंए के बारे में लिखा है कि पूरन सियालकोट के राजा सल्वान का बेटा था। जब बच्चा था तभी उसें 12 साल के लिए समुद्र की यात्रा करना पड़ी। इसके बाद जवान होकर पूरन जब वापस लौटा तो उसकी सौतेली मां लूना ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने की बात कही, लेकिन पूरन ने ऐसा करने से मना दिया।
जब पूरने ने सौतेली मां लूना के साथ शारीरिक संबंध बनाने से मना कर दिया तो उसने क्रोध में आकर पूरन पर जबरदस्ती रेप करने आरोप लगा दिया। लूना की बातों में आकर राजा ने पूरन को बुरी तरह से मार-पीट करवा कर एक कुंए में फि कवा दिया। हालांकि कुंए में फिकवाने के बाद वहां से गुजर रहे एक संत ने उसे बाहर निकालकर उसकी जान बचा ली। तभी से इस कुंए को पूरन का कुंआ कहा जाने लगा। पूरन के सत्य के चलते कुंए के पानी में ऐसा बदलाव हुआ कि वो बच्चा नहीं होने वाली महिलाओं के लिए वरदान बन गया।
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