हमारे देश में हुनर की कमी नहीं है, कमी है तो बस उसे ढूंढने वालों की| जी हां भारत में न जाने ऐसे कितने ही लोग हैं जिनके एक कदम से भारत आज न जाने किस मुकाम पर पहुंच सकता है| आज हम आपको एक ऐसे ही प्रतिभावान बच्चे के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने देश के लिए इतना बड़ा काम कर दिखाया है जिसने देश के बड़े-बड़े वैज्ञानिकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है|
इस बच्चे की वजह से भारत के सैनिकों की ताकत और बढ़ गई है।
अहमदाबाद का एक 14 साल का छात्र हर्षवर्धन सिंह जाला एक दिन टीवी पर डिस्कवरी साइंस देख रहा था जिसमे बताया जा रहा था कि अमेरिकी सैनिक ईराक में बारूदी सुरंग खोजकर उसे नष्ट कर रहे थे और उसी समय एक सुरंग में विस्फोट हुआ और कई सैनिक गंभीर रूप से घायल हो गए।
जाला ने उसी समय सोचा क्या हम कोई ऐसी डिवाइस बना सकते हैं जो बारूदी सुरंगो को नष्ट करने में सैनिकों की मदद करे और जिससे सैनिकों की जान को कोई खतरा न हो? हर्षवर्धन को बचपन से ही विज्ञान में काफी रूचि हुआ करती थी और उसके दिमाग में उस बात को लेकर कई तरह के विचार आने लगे।
हर्षवर्धन ने उसी समय इंटरनेट पर रिसर्च करना शुरू किया और उसने एक ऐसा ड्रोन बनाया जो जमीन से 2 फीट ऊपर उड़कर रेडियो तरंगो को फैलाता है और ये तरंगे हवा में फैलकर किसी भी विस्फोटक चीज का पता लगा सकती है फिर ये ड्रोन लेजर से उस बारूदी सुरंग को नष्ट कर देता है।
हर्षवर्धन की इस सर्च में गुजरात सरकार ने भी काफी सपोर्ट किया और सरकार ने हर्षवर्धन को इस काम के लिए 3 लाख रूपये भी दिए| आखिरी में हर्षवर्धन सिंह झाला ने ड्रोन बनाया और उसे सेना ने आजमाया और सेना ने इस ड्रोन को अप्रूव कर दिया। इस छात्र को गुजरात सरकार ने इस कमर्शियल उत्पादन के लिए साइंस एंड टेक्नोलाॅजी विभाग से 5 करोड़ का एमओयु साइन किया है। हर्षवर्धन ने एक प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी बनाई और स्टेट बैंक आॅफ इंडिया ने उसे लोन भी दिया।
हर्षवर्धन जाला ने अपने इस ड्रोन के आविष्कार के चलते गुजरात सरकार के विज्ञान एवं तकनीकी विभाग के साथ 5 करोड़ रुपये के एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है। सर्वोदय विद्या मंदिर, बापूनगर में पढ़ने वाले हर्षवर्धन ने ये समझौता, ड्रोन के डिज़ाइन के लिए किया है। अब उसके द्वारा डिज़ाइन किए गए ड्रोन का गुजरात सरकार उत्पादन करेगी।
हर्षवर्धन ने जो ड्रोन बनाया है, उसमें मकैनिकल शटर वाले 21 मेगापिक्सल के कैमरे के साथ इंफ्रारेड, आरजीबी सेंसर और थर्मल मीटर लगा है। ड्रोन जमीन से दो फीट ऊपर उड़ते हुए आठ वर्ग मीटर क्षेत्र में तरंगें भेजेगा। ये तरंगें लैंड माइंस का पता लगाएंगी और बेस स्टेशन को उनका स्थान बताएंगी। ड्रोन लैंडमाइन को तबाह करने के लिए 50 ग्राम का बम भी अपने साथ ढो सकता है।
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