नगर निगम बोर्ड बैठक में वंदे मातरम शुरू होने से पहले ही विपक्षी पार्षदों द्वारा सदन छोड़ने पर मंगलवार को फिर विवाद हुआ|
मेरठ नगर निगम में मंगलवार को एक बार फिर सदन में वन्दे मातरम् को लेकर विवाद उठा जिसके चलते सदन शुरू होने से पहले ही विपक्षी पार्षद सदन छोड़ कर चले गए| विपक्षी पार्षद जब वंदे मातरम खत्म होने के बाद लौटे तो यह प्रस्ताव पास कर दिया गया कि जो पार्षद वंदे मातरम् के दौरान सदन में मौजूद नहीं रहेगा, उसे बोर्ड बैठक में स्थान नहीं दिया जाएगा।
दरअसल मंगलवार को वंदे मातरम् के दौरान मुस्लिम पार्षद बैठक छोड़कर बाहर चले गए थे। वंदे मातरम् खत्म होने के बाद वे बैठक में लौट आए थे। इसी दौरान मेयर रविकांत अहलुवालिया ने कह दिया कि जो सदस्य वंदे मातरम् नहीं गाएगा और सदन छोड़कर चला जाएगा, उसे फिर बैठक में शामिल नहीं होने दिया जाएगा। यहाँ तक कि उसका प्रवेश तक प्रतिबंधित कर दिया जा सकता है।
बस फिर क्या था मेयर के इस प्रस्ताव के समर्थन में जैसे ही पार्षदों ने हाथ खड़े किए तो दावा किया गया कि प्रस्ताव पास हो गया है तय हुआ कि अगली बैठक से इस पर अमल किया जाएगा लेकिन तभी मुस्लिम पार्षदों ने सदन में वन्दे मातरम का ज़ोरदार विरोध किया।
पार्षद असदउल्ला ने पूरे विवाद पर कहा कि, “वंदे मातरम् में वह शामिल नहीं होंगे। मुसलमान सिर्फ अल्लाह की इबादत करता है। उसको सजदा करता है उसके अलावा किसी का नहीं करता।” असदउल्ला ने आगे कहा कि, “बेशक इस बात पर वो अपनी सदस्यता छोड़ देने को तैयार हैं, लेकिन इस बात को वो नहीं मान सकते।”
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पार्षद शाहिद अब्बासी का कहना है कि, “जो प्रस्ताव लाने की बात की जा रही है वह संविधान के खिलाफ है। बिना एजेंडे कोई प्रस्ताव पास ही नहीं हो सकता। दूसरे हम कार्यवाही देखने के बाद अगर जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।”
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