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पढ़ें मूवी रिव्यू जानें- समीक्षकों की नज़र में कैसी है 'अनारकली ऑफ आरा'...

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नई दिल्ली: पहली बार डायरेक्शन में डेब्यू करने वाले अविनाश दास की फिल्म ‘अनारकली ऑफ़ आरा’ सिनेमाघरों में आज रिलीज हो गई है. ये फिल्म रिलीज होने के पहले से ही अपने प्लॉट को लेकर चर्चा में है. इस फिल्म में उन महिलाओं की कहानी है जो दूरस्थ एवं पिछड़े क्षेत्रों में नाच-गाकर अपना गुजर-बसर करती हैं. भीड़ के बीच ठुमके लगाने वाली इन महिलाओं से छेड़छाड़ की घटनाएं आम हैं, लेकिन इनमें से चंद महिलाएं इन ज्यादतियों के खिलाफ आवाज भी बुलंद करती हैं.
इस फिल्म में मुख्य भूमिका में स्वरा भास्कर है और उनके अभिनय की खूब तारीफ हो रही है. समीक्षकों ने इस फिल्म को ना सिर्फ अच्छा बताया है बल्कि अच्छी रेटिंग भी दी है. आपको यहां बताते हैं कि समीक्षकों ने इस फिल्म के बारे में क्या लिखा है-
इस फिल्म को 3.5 स्टार देते हुए अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्स्प्रेस में शुभ्रा गुप्ता लिखती हैं, ‘स्वरा भास्कर ने अपनी भूमिका को जीवंत कर दिया है. फिल्म में ऐसी लाइनों और परिस्थितियों को दिखाया गया है जिसमें भोंडापन झलकता है लेकिन वो कहीं भी अश्लील नहीं दिखता है. यही डायरेक्टर की उपलब्धि है.’ शुभ्रा गुप्ता ने इस फिल्म में पकंज त्रिपाठी और संजय मिश्रा के अभिनय की भी तारीफ की है.
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आजतक की वेबसाइट पर आरजे आलोक इस फिल्म को तीन स्टार देते हुए लिखते हैं, ‘फिल्म का एक सुर है जो पूरी फिल्म के दौरान बना रहता है और संगीत को भी उसी लिहाज से पिरोया गया है जो कर्णप्रिय है और जो लोग उत्तर प्रदेश, बिहार या कहें की नार्थ इण्डिया से ताल्लुक रखते हैं उनके लिए काफी फ्री फ्लो फिल्म है. फिल्म में संजय मिश्रा की बेहतरीन एक्टिंग नजर आती है और वो आपको विलेन के नाते घृणा करने पर विवश कर देते हैं. वहीँ रंगीला के किरदार में पंकज मिश्रा ने अपने किरदार पर काफी बारीकि से काम किया है जो कि परदे पर साफ नजर आता है. स्वरा भास्कर ने अपने सिंगर के पात्र को बखूबी निभाया है जिससे आप खुद को कनेक्ट कर पाते हैं.’
नवभारत टाइम्स में तीन स्टार देते हुए चंद्रमोहन शर्मा लिखते हैं, ‘स्वरा ने अपनी दमदार ऐक्टिंग के दम पर इस फिल्म को कहीं कमजोर नहीं पड़ने दिया तो वहीं तारीफ करनी होगी स्वरा के डायलॉग डिलीवरी की जो इस फिल्म की यूएसपी है. बेशक फिल्म में कई डबल मीनिंग संवाद हैं, लेकिन ऐसे संवाद अब कॉमिडी शो और फिल्मों में अक्सर सुनाई देते हैं.’ चंद्रमोहन शर्मा आगे लिखते हैं, ‘बॉलीवुड मसाला फिल्मों में अपनी जबर्दस्त कॉमेडी से फैन्स का दिल जीतने वाले संजय मिश्रा इस फिल्म के विलेन हैं. वीसी चौहान के किरदार को संजय मिश्रा ने इस बेहतरीन ढंग से निभाया है कि हॉल में बैठे दर्शक उनके किरदार से नफरत करने लगते हैं. वहीं रंगीला ऑर्केस्ट्रा पार्टी के हेड के किरदार में पंकज मिश्रा ने अपने किरदार को दमदार बनाने के लिए अच्छी मेहनत की है.’
हिंदुस्तान हिंदी ने इस फिल्म को चार स्टार देते हुए शानदार बताया है और लिखा है, ‘फिल्म के क्लाइमेक्स में अनारकली काफी दमदार है. अनाकरली का बदला और अंत में उसका स्टेज शो, आपके झकझोर देने का काम करेगा. अनारकली ऑफ आरा एक म्यूजिकल फिल्म है और अंत में म्यूजिकल तरीके से ही अनाकरली के बदले के सीन को भी दर्शाया गया है. अनारकली के उस स्टेज परफॉर्मेंस में एक गजब का तेवर दिखाई देता है. उसके चेहरे पर एक औरत का विद्रोह दिखता है. उसका नाच एक तांडव नाच के रूप दर्शाया गया है, जिसमें वो कहती है, ‘वीसी साहब अगली बार से चाहे वो बाजारू औरत हो या उससे थोड़ी कम या फिर आपकी बीवी ही क्यों ना हो उसकी मर्जी के बिना हाथ मत लगाइएगा.”
दैनिक जागरण में चार स्टार देते हुए मनोज वशिष्ट ने लिखा है, ‘घर की चारदीवारी हो या स्कूल-कॉलेज व दफ्तर चहुंओर ‘मर्दों’ की बेकाबू लिप्सा और मनमर्जी औरतों के जिस्म को नोच खाने को आतुर रहती है. ऐसी फितरत वाले बिहार के आरा से लेकर अमेरिका के एरिजोना तक पसरे हुए हैं. लेखक-निर्देशक अविनाश दास ने उन जैसों की सोच वालों पर करारा प्रहार किया है. उन्होंने आम से लेकर कथित ‘नीच’ माने जाने वाले तबके तक को भी इज्जत से जीने का हक देने की पैरोकारी की है. इसे बयान करने को उन्हों ने तंज की राह पकड़ी है.’
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