आपको जानकार बेहद आश्चर्य होगा कि मुस्लिम बहुल जम्मू और कश्मीर में पोर्क यानी सुवर का माँस बैन है और वहाँ इसकी बिलकुल भी इजाज़त नहीं है , क्यूँकि मुस्लिम धर्म में सुवर का माँस खाने को हराम समझा जाता है। इसके बाद सवाल ये खड़ा हो जाता है कि क्या हिन्दुओं की आस्था का ध्यान रखते हुए गौ माँस पूरे देश में बैन नहीं होना चाहिए ? हिन्दुओं की आस्था पर अलग नियम और मुस्लिमों की आस्था के लिए अलग -अलग नियम क्यूँ ?
क्यूँ हिन्दुओं की आस्था की कोई क़दर नहीं की जा रही ? जब देश एक है और सबके लिए अधिकार एक समान है तो फिर ये दोगलपन क्यूँ ? फिर ये फ़र्क़ क्यूँ ? ये भेदभाव क्यूँ ? क्या हिन्दुओं की आस्था की कोई क़ीमत नहीं ?
यहाँ पर क्लिक करके कश्मीर में सुवर का माँस बैन है इससे सम्बंधित एक लेख पढ़ें जो Dec 29 2008 का है और ग्रेट कश्मीर नाम की वेबसाइट में छपा था ताकि आपको नियम का पता चल जाए । अब एक सामाजिक कार्यकर्ता का ये ट्वीट भी पढ़ें जो ट्वीटर पर काफ़ी ऐक्टिव रहते हैं इन्होंने स्पष्ट रूप से लिखा है कि गौ माँस बंद करने पर आवाज़ उठाने वाले लोग अपने दोगलेपन की वजह से पोर्क बैन के ख़िलाफ़ कोई आवाज़ नहीं उठाते । ये ट्वीट March 4, 2015 का है ।
FollowPig/Pork was banned in Muslim dominated Kashmir entirely for religious reasons
Any Protest or Outrage by SICKular & Libtard then?#BeefBan
अब जब देश में अवैध बूचड खानों पर इतना हो हल्ला हो रहा है तो इस पर भी बात होनी चाहिए , आज़ादी के समय से ही हिंदू अपनी आस्था से जुड़े प्रशन गौ हत्या के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाते रहे हैं अब समय आ गया है कि इस विषय पर कड़ाई से बात की जानी चाहिए ।
अगर हम सेहत के हिसाब से भी बात करें तो सुवर का माँस ज़्यादा अच्छा माना गया है जबकि रेड मीट यानी कि गौ का माँस खाने में अनेक बीमारियाँ होती हैं , दुनिया में ओलम्पिक मेडल जीतने वाले 90 % से ज़्यादा लोग पोर्क यानी सुवर का माँस खाते हैं । पोर्क को वाइट मीट माना गया है जो शरीर के लिए पोष्टिक होता है । ये नीचे लिखी रिपोर्ट भी देखें ।
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