
भारत की सर्वोच्च न्यायालय का स्थान सर्वोच्च है ,खुद को भारत की सर्वोच्च न्यायिक संस्था मानने वाला ये जो खुद को कई जजों की खंडपीठ कहता है ,
दरअसल ये संयुक्त रूप से सेकुलरवादी के हित में कार्य करने को ही अपना धार्मिक कर्तव्य समझता है ..
साफ़ और स्पष्ट शब्दों में अगर कहें तो अब सुप्रीम कोर्ट ने फरमाया है की काश्मीर में प्रदर्शन कारियों पर पैलट गन की जगह बदबूदार पानी की बौछार की जाय !
इसे आप दोगलापन नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे ! मतलब की वो आप पर पत्थर फेकें आपकी गाड़ियों के शीशे तोड़ दें लेकिन आप कुछ मत करिए ! ये सिर्फ भारत में ही संभव है !
हिंदुवो के हर धार्मिक सामाजिक आर्थिक मामले में अगर कोई संस्था सबसे ज्यादा टांग अडाती है तो वो यही सुप्रीम कोर्ट है ! हिन्दू कैसे खाय !कैसे सोये ! कैसे बैठे ! कैसे बोले ! कैसे अपने त्यौहार मनाए ! कितनी शादी करे ! कितने बच्चे पैदा करे ! उसकी संपत्ति में कौन हिस्से दार हो ! बेटियों को संपत्ति में हक कैसे मिले ! अपने देवी देवता की मूर्ति कहाँ बहाए ! हिन्दू कैसे सांस ले ! ये सब कुछ भारत में येही सुप्रीम कोर्ट तय करता है !
लेकिन आजादी के 70 साल बाद भी ये संस्था ये फैसला नहीं कर पायी की कोई मुस्लमान तलाक तलाक तलाक कह के अपनी बीवी को तलाक कैसे दे सकता है !
ये काले काले कोट पहन कर आज तक ये फैसला नहीं कर पाए की अयोध्या पे क्या फैसला देना है ! इनकी सारी बहादुरी सिर्फ हिन्दू समाज पर दिखाई देती है ! इन में दम नहीं है ये फैसला देना की वहां मस्जिद नहीं बनेगी ! क्यों की ये जानते है की किसी दिन कोई जेहादी कोर्ट के बाहर उन्हें जन्नत की सैर ना करवा दे !
ये शाहबानो पर फैसला देते है तो सरकार इनका फैसला पलट देती है ! इन्हें मुस्लमान दिल्ली की जामा मस्जिद से पानी पी पी के गरियाते हैं लेकिन इसके बावजूद इन्हें लगता है की सुप्रीम कोर्ट सबसे बड़ी न्यायिक संस्था है !
ऐ दिल्ली की सर्वोच्च अदालत सुनो अगर वाकई में दम नहीं था फैसला देने का तो अब आगे भी मत सुनाना ...2018 में राज्य सभा में बहुमत होगा और कानून बना कर मंदिर बना ली जाएगी !
वो भी तब जब केन्द्र और राज्य दोनों में रामजादों की सरकार है जिसे चुना ही गया है मंदिर बनवाने की लिए ! मिलेट्री लगवा के सरकार राम मंदिर बनवा देगी ..
और रही बात सुप्रीम कोर्ट के फैसले की, तो अब ये हमे बताएगी की भगवान् राम का जन्म अयोध्या में हुआ था !
क्योंकि सेक्युलर तत्वों के लिए राम तो कभी थे ही नहीं काल्पनिक थे, जैसा की कांग्रेस पहले सुप्रीम कोर्ट में ये हलफनामा दे भी चुकी है
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