प्रधानमंत्री की कुर्सी सँभालते ही नरेन्द्र मोदी लगातार जनहित और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर सक्रिय और सख्त रवैय्या अपनाए हुए हैं और इसके लिए दिन रात म्हणत भी करते हैं.
इस बार केंद्र सरकार के अंतर्गत काम करने वाली महिला कर्मचारियों के लिए नया नियम लाया गया है। इसके तहत अगर महिला कर्मचारी कार्यस्थल पर यौन शोषण की शिकायत दर्ज कराती है तो पीड़ित महिला कर्मचारी को 90 दिन की वैतनिक अवकाश (पेड लीव) मिल सकता है।
बता दें की, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने इस संबंध में हाल में सेवा नियमावली में बदलाव किया है। हालांकि यह विशेष अवकाश तभी तक जारी रहेगी जब तक मामले की जांच की जा रही है।
नए नियम में कहा गया है कि कार्यस्थल पर महिलाओं से यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण अधिनियम-2013) के तहत जांच लंबित रहने तक पीड़ित सरकारी महिला कर्मचारी को 90 दिन तक का विशेष अवकाश दिया जा सकता है।
यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि ऐसी शिकायतें मिल रही थी कि यौन उत्पीड़न का आरोपी पीड़ित को धमकाने और जांच को प्रभावित करने की कोशिश करता है।
यह विशेष अवकाश तभी मिलेगा जब इस तरह के मामलों को देखने वाली स्थानीय कमेटी या आंतरिक कमेटी इसकी सिफारिश करती है।
ऐसे ममालों में पीड़ित महिला आंतरिक कमिटी की सिफारिश के आधार पर स्पेशल लीव दी जाएगी और आरोपों की जांच के लिए एक स्थानीय कमिटी का गठन किया जाएगा।
पीड़ित महिला को दी गई छुट्टियां उसके खाते की छुट्टियों से नहीं काटी जाएंगी। ये छुट्टियां पहले से केंद्रीय कर्मचारियों को मिलने वाली छुट्टियों के अलावा होंगी।
दिसंबर 2016 में डीओपीटी ने कार्यस्थल पर यौन शोषण का शिकार होने वाली महिलाओं के मामलों को लेकर दिशानिर्देश जारी किए थे, जिसके तहत 30 दिनों में केस की जांच पूरी करने की बात कही गई थी।
य़ह भी कहा गया था कि किसी भी सूरत में शिकायत किए जाने के 90 दिनों के भीतर जांच पूरी हो जानी चाहिए। इस संबंध में सभी मंत्रियों को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के समक्ष मासिक रिपोर्ट सौंपनी होगी, ताकि मामले की कार्रवाई पर नजर रखी जा सके। अब मोदी सरकार के इस फैसले से निश्चित ऐसी महिलाओं को मदद मिलेगी और ऐसे अपराध भी कम होंगे.
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