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ये बर्जर पेंट लगा डाला तो 40 साल तक भूल जाएं पेंटिंग कराना, होगी 35 फीसदी तक बिजली की बचत

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देश में निर्माण के क्षेत्र में सबसे अग्रणी सरकारी कंपनी एनबीसीसी अपने नए निर्माण में सिर्फ आधुनिक पेंट के इस्तेमाल से 35 फीसदी तक बिजली बचाएगी. एक्सटर्नल थर्मल इन्सुलेशन और कम्पोजिट सिस्टम यानी एटिक्स के तहत इस पेंट को बनाने के लिए एनबीसीसी ने पोलैंड की कंपनी बॉलिक्स (बर्जर पेंट इंडिया की पेरेंट कंपनी) के साथ सोमवार को करार किया.
पिछले कई सालों से इसी तकनीक का इस्तेमाल कर यूरोपीय देश स्कूल, अस्पताल, रिहायशी और बाकी सरकारी-गैरसरकारी इमारतों को पर्यावरण के अनुकूल बना रहे हैं. अहम बात ये है कि महज पेंट का इस्तेमाल मकानों को सर्दियों में 4 से 5 डिग्री तक गर्म और गर्मियों में 5 डिग्री तक ठंडा रखता है. यानी बिजली की सीधे बचत, और एसी-हीटर से निकलने वाले कार्बन डाई ऑक्साइड विकिरण से भी राहत.
इस एटिक्स टेक्नॉलजी का सबसे पहले इस्तेमाल प्रगति मैदान में किया जाएगा. प्रगति मैदान का रीकंस्ट्रक्शन एनबीसीसी ही कर रही है. साथ ही जिन भवनों का रीकंस्ट्रक्शन एनबीसीसी कर रही है वहां हर जगह इस पेंट को इस्तेमाल में लाया जाएगा. 
एनबीसीसी, एटिक्स तकनीक का इस्तेमाल करने वाली देश की पहली कंपनी है. इससे निर्माण में आने वाला खर्च 1 से 1.5 फीसदी तक बढ़ता है जिसकी भरपाई बिजली की बचत से 2 से 3 साल में हो जाती है. वहीं इस पेंट की उम्र 40 साल तक होती है लिहाजा एक बार इस पेंट को लगाने के बाद अगले कई दशक तक पेंट पर खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
इस पेंट में बुनियादी तौर पर इन्सुलेशन तकनीक का ही इस्तेमाल किया जाता है. एटिक्स को फिलहाल भवन निर्माण के क्षेत्र में क्रांति की तरह देखा जा रहा है. बॉलिक्स आने वाले समय में इस इन्सुलेशन पेंट को भारत में ही बनाएगी और कंपनी की मेक इन इंडिया के तहत प्लांट भी शुरू करने की योजना है.
एटिक्स के फायदे
• बिजली की खपत में इस पेंट से 35 फीसदी तक की कमी आएगी.
• बिजली की खपत कम होगी तो जाहिर है बिजली की जरूरत भी कम होगी लिहाजा उत्पादन कम होगा और थर्मल प्लांट्स में कोयला कम जलने से CO2 और CO जैसी गैसें कम होंगीं. कई जगह बिजली उत्पादन के लिए लोग डीजल जेनसेट्स का सहारा लेते हैं.
• काफी मोटी परत होने के कारण ये पेंट इमारतों को सुंदर बनाती हैं.
• पेंट की उम्र कम से कम 40 साल की है लिहाजा ऊर्जा बचत के लिहाज से बेहद मुफीद है.
• पेंट की मोटी परत से पहले इमारत को सीमेंट से प्लास्टर करने की भी जरूरत नहीं होती लिहाजा उसका खर्च भी बचता है.
• एचवीएसी यानी हीटिंग, वेंटिलेशन और एयरकंडीशनिंग के खर्च में भी एटिक्स की बदौलत जबरदस्त कमी आती है
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