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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला :कहा -पुराने नोट बदलने को लेकर यदि राहत मिलेगी तो सबको मिलेगी

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि अगर वह 500 और 1000 रूपए के अमान्य नोटों को बदलने के मामले में कोई राहत देने का फैसला करता है तो वह व्यक्तिगत मामलों के लिए नहीं बल्कि आम लोगों के लिए होगा.
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ और न्यायमूर्ति एस के कौल की पीठ ने कहा, ‘‘यदि (अमान्य नोटों को जमा करने की अवधि विस्तार) सुविधा होगी तो आप सभी पर (याचिकाकर्ता और अन्य) विचार किया जाएगा.’’
कोर्ट सुधा मिश्रा नाम की एक महिला की ओर से दाखिल याचिका सहित कई अन्य अर्जियों पर सुनवाई कर रहा था जिनमें 500 और 1000 रूपए के चलन से बाहर हो चुके नोटों को बदलवाने के लिए 31 मार्च तक का समय आम लोगांे को नहीं देने के केंद्र के फैसले को चुनौती दी गई है . आम लोगों के लिए यह अवधि पिछले साल 30 दिसंबर को ही खत्म हो गई जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया था कि आम लोग 31 मार्च तक पुराने नोट बदलवा सकेंगे .
केंद्र की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने इस मुद्दे पर सरकार की ओर से हाल में दाखिल हलफनामे का जिक्र किया और कहा, ‘‘हमने वजह बताई कि हम यह सुविधा क्यों नहीं देना चाहते.’’ रोहतगी ने कहा, ‘‘मैं अदालत के आदेश से बंधा हूं..व्यक्तिगत स्तर पर अलग सुविधा नहीं हो सकी. यदि अदालत राहत देती है तो यह सभी के लिए होना चाहिए.’’ जब व्यक्तिगत मामलों की पैरवी कर रहे कुछ वकीलों ने अपने-अपने मामलों में दलीलें देनी शुरू कीं तो रोहतगी ने कहा, ‘‘फिर तो मुझे हर मामले के तथ्यों पर जवाबी हलफनामा दाखिल करना होगा.’’ इसके बाद कोर्ट ने इन याचिकाओं पर सुनवाई ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद करने का फैसला किया.
इससे पहले, याचिकाकर्ता के वकील की ओर से इस मुद्दे पर केंद्र के हालिया जवाब पर प्रतिक्रिया देने के लिए वक्त मांगे जाने पर प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहड़ और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एस के कौल की पीठ ने कहा कि इन मामलों की सुनवाई ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद होगी. केंद्र ने हाल ही में शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि उसने चलन से बाहर हुए नोटों को बदलने की समय सीमा को बीते 30 दिसंबर के बाद न बढ़ाने का फैसला ‘‘सोच समझकर’’ लिया था.
केंद्र ने कहा था कि वह चलन से बाहर हो चुके नोटों को बदलने के लिए अतिरिक्त समय अवधि देने वाली ताजा अधिसूचना लाने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य नहीं है.
केंद्र ने निजी तौर पर कुछ लोगों और एक कंपनी की ओर से दायर याचिकाओं के जवाब में एक अभिवेदन दायर किया था. इन याचिकाओं में मांग की गई थी कि जिस तरह प्रवासी भारतीयों और नोटबंदी के दौरान देश से बाहर रहे लोगों को रिजर्व बैंक से नोट बदलने के लिए समय दिया गया, उसी तरह हमें भी अतिरिक्त समय दिया जाए.
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