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देवबंद के मुस्लिम धर्मगुरु का कुरानिक ज्ञान : औरतों का नौकरी करना इस्लाम में हराम


इस समय देश में तीन तलाक का मुद्दा काफी चर्चित बना हुआ है. मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक को अपने अधिकारों का हनन बता रही हैं तो वहीँ मुस्लिम धर्मगुरु तीन तलाक को इस्लाम के मुताबिक बता रहे हैं. इन सबके बीच देवबंद से मुस्लिम धर्म गुरु नदीम उल वाजदी का कट्टरपंथी सोच को जाहिर करने वाला एक बयान सामने आया है. 

देवबंद के मौलाना और तंजीम उलेमा-ए-हिंद के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि मुस्लिम महिलाओं का नौकरी करना इस्लाम के खिलाफ है. उन्होंने कहा मुस्लिम महिलाओं को नौकरी करना गैर इस्लामिक है, यानी अल्लाह के हुकम के खिलाफ है.

उनका कहना था कि महिला को तो घर के कार्य और बच्चों की परवरिश ही करना चाहिए. वाजदी ने कहा कि महिला यदि नौकरी करती है तो उसे अपने चेहरे को ढंककर रखना होगा. वाजदी का कहना था कि यदि घर में कोई कमाने वाला न हो तब ही महिला नौकरी करे. बता दे  कि देवबंद पहले से ही कई तरह के फतवों के लिए बदनाम रहा है. 

इस संस्था द्वारा फतवा जारी किया गया था कि भारत माता की जय कहना मुसलमानों के लिए उचित नहीं है. दारूल उलूम देवबंद पहले तीन तलाक को लेक भी कह चुका है. इस संस्था ने कहा था कि तलाक के लिए औरतों का वहां होना आवश्यक नहीं है. इस तरह मोबाइल फोन से दिए गए तलाक को भी मान्य किया गया.

अब आप इन लोगों को क्या कहेंगे धार्मिक या फिर कट्टरपंथी जेहादी. ये कैसा मजहब है जो ओरत को इंसान नहीं मानता न तो उसे कोई हक़ है न ही उसे आजादी. जिस जगह एक ओरत को ज़िंदा लाश बनकर रहना पड़े वो मजहब धर्म कैसे हो सकता है. क्यूँ धर्म तो अपने आप में न्याय होता है. 

फिर यहाँ तो अन्याय से भरा पडा है इनका सारा भूतकाल और वर्तमान इतिहास. शयद अब समय आ गया है, जब सरकार को आगे आकर मुस्लिम महिलाओं को इन जेहादी हैवानो के चुंगल से छुड़ाकर बराबरी का हक़ दिलाकर इंसानियत जीवन दिलाया जाए ताकि वह भी इस धरती के स्वर्ग का एहसास कर सकें.
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