हमारी सबसे बड़ी समस्या ये है की, हमने सेकुलरिज्म के नाम पर धीरे धीरे सब सह लिया
और आज इसी कारण हमारी संस्कृति को प्रशांत भूषण जैसे लोग गालियां देते है, और फिर भी हम सह ही लेते है, आपको हम बताना चाहेंगे कुछ, ध्यान दें
ये तस्वीर देखिये
ये 100% गलत तस्वीर है, पर जानकारी के आभाव में हम ऐसे तस्वीरों का विरोध नहीं करते, इसमें भगवान् कृष्ण की उम्र अधिक लग रही है, इस तस्वीर को देखकर लगेगा की कृष्ण बड़े थे, जब वो राधा और गोपियों के साथ वृन्दावन में थे, पर ये 100% गलत है
अब एक दूसरी तस्वीर देखिये
ये तस्वीर सही है, अब आपको जो हम बता रहे हैं, उसपर ध्यान दीजिये
कृष्ण जब वृन्दावन में थे वहां से वो कंस वध के लिए मथुरा चले गए थे, वो 12 साल के हुए तो वो वृन्दावन से मथुरा चले गए, फिर वो वापस कभी वृन्दावन नहीं आये, वहां ही रहे और फिर बाद में द्वारका चले गए
यानि जब कृष्ण वृन्दावन में थे, तो वो 12 साल से छोटे थे, वो बालक थे
और दूसरी चीज ये वही कृष्ण है जो जब मथुरा के राजा बन गए थे, तो इन्होंने महिला के सम्मान की रक्षा की, आपको द्रौपदी चीरहरण प्रसंग तो याद होगा, वो कृष्ण ही थे जो महिला के सम्मान की रक्षा के लिए आगे आये थे
आज उसी कृष्ण को हमारे देश के घृणित वामपंथी महिला विरोधी बता रहे है
और उसके बाद भी आज़ाद घूम रहे है, ये बहुत ही शर्मनाक है
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