loading...

नीचता की हद : डाॅक्टर ने कहा किडनी खराब है, जिहादी पति ने रास्ते में कहा, तलाक, तलाक, तलाक !!

Image result for MUSLIM WOMAN CRYING

इस्लाम में शायद प्यार नहीं सौदा किया जाता है तभी तो पत्नी जब बीमार हुई पति ने साथ छोड़ दिया ।

ये तो सबसे सामने ही है तीन तलाक का डर बेचारी मुस्लिम महिलाओं के दिमाग में हर समय रहता है वे अपनी ज़िंदगी भी अच्छे से जी नहीं पाती हैं ना ही उन्हें कोई भी अधिकार मिले हैं। वे तो पैर की जूती भर है जब पति का मन आया तीन तलाक़ बोल दिया। क्या ये एक तरह की वैश्यव्रति नहीं है  ? शादी की लड़की के जिस्म से मनमर्ज़ी से खेला और फिर दूसरी पर दिल आया तो तलाक़ तलाक़ तलाक़ बोलकर छुटकारा पा लिया। 

ग़ौरतलब है कि शौहर की दूसरी शादी, मुस्लिम महिला की बीमारी और पत्नी को बुरी तरह पीटना , घर में दूसरे मर्दों का सेक्स के लिए मजबूर करना और ना मानने पर तलाक़ दे देना ये तीन तलाक के सबसे बड़े कारण हैं। जहां तीन तलाक से अपनी जिंदगी को बचाने के लिए UP की मुस्लिम महिलाएं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिल रही हैं, वहीं दूसरी ओर बेचारी सालों से कानूनी लड़ाई भी लड़ रही हैं ।

ग़ौरतलब है कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार कुल 18 करोड़ मुस्लिम लोगों में 13.5 प्रतिशत की शादी केवल 15 साल से पहले हो जाती है। इसके साथ ही भारत में फोन और व्हाट्सऐप से तलाक के मामले भी काफ़ी बढ़े हैं। तीन तलाक मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट की फुल बेंच इस मामले की सुनवाई 11 मई से करेगी , लेकिन आज़ादी के सत्तर साल तक क्या देश की अदालतें और सरकारें सो रही थी ? क्या मुस्लिम महिलाएँ इंसान नहीं हैं  ? क्या मुस्लिम मर्दों या लड़कों में प्रेम नाम की कोई चीज़ है ?

आपको अब एक सनसनीख़ेज़ घटना बताते हैं  , लखनऊ में रहने वालीं मुस्लिम महिला सबा बानो रोते हुए बताती हैं, “मेरी किडनी खराब थी, और हम अस्पताल से घर आ रहे थे, पति ने रास्ते में ही मुझसे कहा, अब हम रास्ता बदल लेते हैं, और तलाक देकर चले गए,” वह आगे बताती हैं, “उन्हें डर था कि कहीं मेरी बीमारी उन्हें न हो जाए।” सबा की किडनी का ट्रांसप्लांट उनके मायके वालों ने कराया। 

सबा अपने आंसू पोछते हुए आगे बताती हैं, “यह बात बीच रास्ते में बोली गयी, मेरे होश उड़ गए। मेरा पर्स भी लेकर चले गए और मेरे भाई को फोन किया कि तुम्हारी बहन बीच रस्ते में खड़ी है, ले जाओ आके।”

अगर कोई लड़की इसको पढ़ ले तो मुस्लिम से कभी शादी नहीं करेगी। और हद तो देखो देश दुनिया के क़ानून को ना मानने वाले कठमुल्लों को इस पर कितनी तकलीफ़ हो रही है।  तीन तलाक पर जब सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र सरकार ने द्वा हलफनामे दिया तो विरोध करते हुए इसे शरीयत के कानून में दखलंदाजी मानते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसके खिलाफ हस्ताक्षर अभियान भी चलाया था , हमें ये समझ नहीं आता क्या भारत के काठमुल्लों को पाकिस्तान या अफगानिस्तान से ज़्यादा इस्लाम पता है  ? बता दें कि इन दोनो देशों में तीन तलाक़ नहीं है ।

 वहीं, दूसरी और ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर कहती हैं, “इस्लाम में कहीं यह नहीं लिखा है कि तीन बार तलाक बोलने भर से तलाक हो जाता है। तलाक तीन महीने में होता है। पति या पत्नी हर महीने एक दूसरे को तीन बार अलग-अलग महीने में तलाक बोलते हैं उसके बाद कार्यवाही मौलवी और कोर्ट के जरिए तलाक की मंजूरी मिलती है।”

आप जानते ही हैं कि तीन तलाक का इस्तेमाल मुस्लिम समाज में बहुत ही ज्यादा हो रहा है, अगर महिला को बेटी पैदा हो गई, या समय पर खाना नहीं बना, या बीवी मायके चली गई या बीवी ने किसी से बात कर ली या बीवी ने कोई सवाल पूछ लिया या बीवी ने किसी बात के लिए टोक दिया या बीवी ने सेक्स करने से किसी दिन मना कर दिया या बीवी ने कोई चीज़ लाने की ड़ीमांड राख दी या बीवी ने पानी नहीं दिया या बीवी ने पति की माँ को ज़रा सा कुछ कह दिया तो तलाक हो जाता है, और हलाला की नीयत से भी निकाह किया जाता है जिसको मुस्लिम ही हराम मानते है और करते भी हैं।  

शाइस्ता अम्बर इसका पुरजोर विरोध करते हुए कहती हैं, “इसको बढ़ावा दिया है हमारे समाज के कुछ उलेमाओ ने। इस्लाम के कानून का गलत इस्तेमाल हुआ है।
loading...
Previous Post
Next Post
loading...
loading...

0 comments: