
नई दिल्ली : पंजाब की कांग्रेस सरकार ने अकाली-भाजपा शासनकाल में दर्ज हुए झूठे मामलों की जांच को आयोग गठित किया है।
- इसके प्रमुख पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जज मेहताब सिंह गिल होंगे।
- दो सदस्यीय आयोग के दूसरे सदस्य पूर्व जिला व सेशन जज बीएस मेहंदीरत्ता होंगे। यह आयोग अकाली-भाजपा के दस साल के शासनकाल में दर्ज की गई झूठी एफआईआर की जांच करेगा।
- गृह मामले और न्याय विभाग ने बुधवार को इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। यह आयोग कमीशन ऑफ इन्क्वायरी एक्ट 1952 के तहत गठित किया गया है।
- आयोग उन मामलों की जांच करेगा, जहां लोगों को कथित तौर पर झूठे मामलों में फंसा कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। राज्य भर में पिछले दस साल के दौरान ऐसे मामलों की पड़ताल के बाद आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को देगा। साथ ही यह सुझाव भी देगा कि भविष्य में ऐसा न हो, इसके लिए क्या किया जाए। आयोग का कार्यकाल फिलहाल छह माह रखा गया है, लेकिन जरूरत पड़ने पर सरकार इसे बढ़ा सकती है।
- झूठे मामलों की जांच को आयोग गठित करने का फैसला कैप्टन सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में लिया गया था। सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने चुनाव प्रचार के दौरान लोगों से वादा किया था कि कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद सभी झूठे मामलों की जांच की जाएगी, पीड़ितों को इंसाफ दिलाया जाएगा। ऐसे झूठे परचे दर्ज करने वालों को सजा दिलाई जाएगी। सीएम के पास शिअद-भाजपा नेताओं की ओर से पुलिस की मदद से दर्ज कराए गए झूठे मामलों के संबंध में बड़ी संख्या में शिकायतें भी आई थीं।
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