यूपी में योगी सरकार आने के तुरंत बाद गैरकानूनी काम करने वालों की नींद उड़ गई है. तो वहीँ पर तुष्टिकरण की राजनीति करने वालों को भी अपने वोट बैंक की भारी फ़िक्र सताने लगी है. क्यूंकि जिस तरह से उत्तर प्रदेश की अधिकतर मुस्लिम महिलाओं ने ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर भाजपा के पक्ष में वोट किया और बीजेपी की सरकार बनी. तो अब मुस्लिम समाज की महिलायें योगी जी और मोदी जी से उन्हें ट्रिपल तलाक जैसे नारकीय बुराई से मुक्ति दिलाने की मांग कर रही हैं.
योगी जी ने ट्रिपल तलाक के साथ मुस्लिम भाइयों की नमाज को भी योग जैसा ही बता कर मुस्लिम मौलानओं की धर्म की दूकान को और भी ख़तरा पैदा कर दिया है. अब तो मुस्लिम महिलायें खुल कर इन मौलवियों और मौलानाओं का विरोध करने लग गई हैं. हालांकि मौलबी लोग अपनी खिसकती सियासी ताकत को देखते हुए बुरी तरह से बौखलाए हुए हैं. यहाँ तक की कुछ तो नेशनल टीवी की बहस पर ही कह रहे हैं की हमारे नियमो के साथ छेड़छाड़ की तो हम भारत के तुकडे कर देंगे.
खैर योगी जी के मुख्यमंत्री बनने पर मुस्लिम मौलानाओं को ट्रिपल तलाक के बाद सबसे बड़ा दुःख अवैध बूचड़खानों की बंदी को लेकर है. उनका कहना है की योगी जी के इस फैसले से हमारी शादियों में रुकावट आ जायेगी. दरअसल मुस्लिम समाज का एक बड़ा बर्ग गाय-भैंस का मांस खाता है. और उनकी शादी में यही जायदा बनता है.
मुस्लिम लोगों का कहना है की पहले मोटा मांस शादियों के लिए आसानी से मिल जाता था और वह सस्ता भी पड़ता था. लेकिन अब बूचड़खानों के बंद होने के बाद हमें शादियों में चिकन और शाकाहारी सब्जियां ही बनानी पड़ेंगी. जिसके चलते शादी पर होने वाला खर्चा काफी बढ़ जाएगा. मुसलमान गरीब है और इसके चलते उनके परिवार में शादियाँ रुक जायेंगी.
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