नई दिल्लीः क्या आप भी गर्मियों में शर्बत का सेवन करते हैं? क्या आप बहुत ज्यादा स्वीटनर ड्रिंक्स का सेवन करते हैं? अगर हां, तो ये खबर आपके लिए है. हाल ही में इससे रिलेटिड एक रिसर्च आई है.
क्या कहती है रिसर्च-
एक हालिया रिसर्च में ये बात सामने आई है कि बहुत ज्यादा आर्टिफिशियल स्वीटनर्स के सेवन से याददाश्त कमजोर हो सकती है. शोध के मुताबिक, बहुत ज्यादा मीठे पेय पदार्थों के सेवन से स्ट्रोक और डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है. इससे याददाश्त पर भी बुरा असर पड़ता है.
एक हालिया रिसर्च में ये बात सामने आई है कि बहुत ज्यादा आर्टिफिशियल स्वीटनर्स के सेवन से याददाश्त कमजोर हो सकती है. शोध के मुताबिक, बहुत ज्यादा मीठे पेय पदार्थों के सेवन से स्ट्रोक और डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है. इससे याददाश्त पर भी बुरा असर पड़ता है.
हिप्पोकैम्पस हो जाता है छोटा-
‘अल्जाइमर्स एंड डिमेंशिया’ मैग्जीन में पब्लिश हुई इस रिसर्च के मुताबिक, बहुत ज्यादा स्वीहटनर ड्रिंक्स का सेवन करने से याददाश्त कमजोर हो जाती है. ब्रेन वॉल्यूम रिड्यूस हो जाता है. हिप्पोकैम्पस (दिमाग का वो हिस्सा जो सीखने और याद रखने में मदद करता है) छोटा हो जाता है.
‘अल्जाइमर्स एंड डिमेंशिया’ मैग्जीन में पब्लिश हुई इस रिसर्च के मुताबिक, बहुत ज्यादा स्वीहटनर ड्रिंक्स का सेवन करने से याददाश्त कमजोर हो जाती है. ब्रेन वॉल्यूम रिड्यूस हो जाता है. हिप्पोकैम्पस (दिमाग का वो हिस्सा जो सीखने और याद रखने में मदद करता है) छोटा हो जाता है.
रिसर्च के नतीजे-
इस रिसर्च को दो मैग्जींस में पब्लिश किया गया. दूसरी मैग्जीन ‘स्ट्रोक’ में कहा गया कि दिन में रोजाना आर्टिफिशियल ड्रिंक्स जैसे सोडा पीने वाले लोगों में स्ट्रोक और डिमेंशिया का खतरा नहीं पीने वालों की तुलना में तीन गुना अधिक होता है.
इस रिसर्च को दो मैग्जींस में पब्लिश किया गया. दूसरी मैग्जीन ‘स्ट्रोक’ में कहा गया कि दिन में रोजाना आर्टिफिशियल ड्रिंक्स जैसे सोडा पीने वाले लोगों में स्ट्रोक और डिमेंशिया का खतरा नहीं पीने वालों की तुलना में तीन गुना अधिक होता है.
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