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रिसर्च सीटों में भारी कटौती के बाद JNU में सामने आई नई गड़बड़ी

JNU में रिसर्च सीटों में भारी कटौती के बाद सामने आई नई गड़बड़ी

पिछले साल दिसंबर में आयोजित अकादमिक परिषद की बैठक में लिए गए फैसले और जारी किए गए ई-प्रॉस्‍पेक्‍ट्स में अंतर पाया गया है।
नई दिल्‍ली:  जवाहर लाल नेहरू विश्‍वविद्यालय (जेएनयू) में एमफील व पीएचडी की सीटों में भारी कटौती के फैसले के बाद इसमें में एक नई गड़बड़ी सामने आई है। बता दें कि इस मामले को लेकर यहां के छात्रों में रोष व्‍याप्‍त है। जेएनयू प्रशासन के खिलाफ कैंपस में छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी है।
'इंडियन एक्‍सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल 23 दिसंबर को आयोजित जेएनयू अकादमिक परिषद की बैठक में लिए गए फैसले और मार्च में जारी किए गए ई-प्रॉस्‍पेक्‍ट्स में अंतर पाया गया है।

242 शोध छात्रों को ही मिलेगा प्रवेश 
अकादमिक परिषद ने शिक्षा सत्र 2017-18 के लिए 1,408 शोध छात्रों के प्रवेश की अनुमति दी थी, मगर जेएनयू द्वारा 21 मार्च को जारी किए गए ई-प्रॉस्‍पेक्‍ट्स के मुताबिक, आगामी सत्र में सिर्फ 242 शोध छात्रों को ही प्रवेश दिया जाएगा। यानि अकादमिक परिषद द्वारा स्‍वीकृत की गईं सीटों में जेएनयू ने 82.81 फीसद की भारी कटौती कर दी है।

कई सेंटर्स में एक भी छात्रों का नहीं होगा दाखिला 
रिपोर्ट के मुताबिक, जेएनयू के 31 सेंटर्स और दो विशेष सेंटर्स में तो एक भी नए शोध छात्रों का दाखिला नहीं हो पाएगा। इसकी प्रक्रिया पांच अप्रैल को बंद हो चुकी है।

अकादमिक परिषद की बैठक की मुख्‍य बातों का अध्‍ययन करने और ई-प्रॉस्‍पेक्‍ट्स से इसकी तुलना करने के बाद रिपोर्ट में ये बातें कही गई हैं।
एक ऐसे यूनिवर्सिटी के लिए जो यकीनन भारत का सबसे अच्‍छा रिसर्च यूनिवर्सिटी रहा है, वहां रिसर्च सीटों में हुई इतनी भारी कटौती एक तरह से निराशानजक है, इससे देश भर में हजारों छात्रों का जेएनयू में रिसर्च करने का सपना टूट जाएगा।
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