नई दिल्ली(11 मई): तीन तलाक के मुद्दे पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। अलग-अलग धर्मों को मानने वाले पांच जजों की संविधान पीठ तीन तलाक, निकाह हलाला, बहुविवाह समेत सात याचिकाओं पर ऐतिहासिक सुनवाई कर रही है।
# काफी संवेदनशील मुद्दे पर दाखिल की गई इस याचिका को समानता की खोज बनाम जमात उलेमा-ए-हिंद नाम दिया गया है।
# इस केस की सुनवाई करने वाले पांचों जज अलग-अलग समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जे एस खेहर सिख समुदाय से हैं, तो जस्टिस कुरियन जोसेफ ईसाई हैं। आर. एफ नरीमन पारसी हैं तो यू.यू. दलित हिंदू और अब्दुल नजीर मुस्लिम समुदाय से हैं।
# हालांकि कोई भी न्यायाधीश किसी मामले का फैसला अपने धार्मिक मान्यताओं से अलग होकर निरपेक्ष रूप से करता है। सभी न्यायाधीशों को शपथ दिलाई जाती है कि वे भारत के संविधान में सच्ची आस्था रखते हैं और भारत की अखंडता और संप्रभुता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वे बिना किसी भय, पक्षपात और दुर्भावना से रहित होकर अपनी योग्यता और ज्ञान से अपने न्यायिक कर्तव्य को निभाएंगे और संविधान और कानून की रक्षा करेंगे।
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