
भारत द्वारा दक्षिण एशिया संचार उपग्रह जीसैट-9 के प्रक्षेपण के लिए काउंटडाउन शुरू हो गया है।
चेन्नई। दक्षिण एशिया संचार उपग्रह जीसेट-9 को शुक्रवार को अंतरिक्ष में भेजने की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। इस उपग्रह से क्षेत्र के देशों के बीच संपर्क और मजबूत हो सकेगा। इसरो के चेयरमैन एएस किरण कुमार ने लांच प्रक्रिया जारी रहने की जानकारी दी।
यह जीओस्टेशनरी संचार उपग्रह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने तैयार किया है। चेन्नई से करीब 100 किलोमीटर दूर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शुक्रवार, यानि आज शाम 4:57 पर इसे जीएसएलवी-एफ 09 के साथ अंतरिक्ष भेजा जाएगा। सार्क के आठ में सात देश इस परियोजना में शामिल हैं। केवल पाकिस्तान ने अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम होने का तर्क देते हुए खुद को बाहर रखा।
235 करोड़ रुपये की लागत वाला यह उपग्रह 12 केयू बैंड ट्रांसपोंडर के जरिये सेवा मुहैया कराएगा। यह मिशन 12 वर्षो तक सक्रिय रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मई 2014 में सत्ता संभालने के बाद इसरो के वैज्ञानिकों से सार्क उपग्रह विकसित करने को कहा था। बीते रविवार को प्रधानमंत्री ने 'मन की बात' में कहा था कि यह पड़ोसी मुल्कों के लिए भारत की तरफ से 'अमूल्य उपहार' होगा।
आठ सार्क देशों में से सात भारत, श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और मालदीव इस प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं। पाकिस्तान ने यह कहते हुए इससे बाहर रहने का फैसला किया कि उसका अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम है। इस उपग्रह की लागत करीब 235 करोड़ रुपये है और इसका उद्देश्य दक्षिण एशिया क्षेत्र के देशों को संचार और आपदा सहयोग मुहैया कराना है।

12 साल है जीसैट-9 की लाइफटाइम
जीसैट को चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांचिंग पैड से लांच किया जाएगा। इसरो ने बताया कि जीसैट-9 मिशन के ऑपरेशन का 28 घंटे का काउंटडाउन बृहस्पतिवार दोपहर 12:57 बजे शुरू हुआ. इसका मिशन लाइफटाइम 12 साल का है।
जीसैट को चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांचिंग पैड से लांच किया जाएगा। इसरो ने बताया कि जीसैट-9 मिशन के ऑपरेशन का 28 घंटे का काउंटडाउन बृहस्पतिवार दोपहर 12:57 बजे शुरू हुआ. इसका मिशन लाइफटाइम 12 साल का है।
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