# गणेश जी की प्रतिमा और तस्वीरों में आपने देखा होगा कि उनके एक दांत हैं और दूसरे तरफ का दांत टूटा हुआ है। टूटा हुआ दांत गणेश जी के हाथों में मौजूद होता है। गणेश जी का दांत कैसे टूटा और क्यों गणेश जी अपने दांत को हाथ में पकड़े रहते हैं इसकी एक नहीं कई बड़ी रोचक कथा है।
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# भविष्य पुराण की कथा के अनुसार गणेश जी ने अपने नटखटपन से कुमार कार्तिकेय को परेशान कर दिया। क्रोधित होकर कार्तिक ने गणेश जी का एक दांत तोड़ दिया।
# जब गणेश जी ने इसकी शिकायत भगवान शिव से की तो कुमार कार्तिकेय ने दांत गणेश जी को वापस कर दिया लेकिन एक शाप भी दे दिया कि गणेश जी को अपने हाथ में हमेशा दांत पकड़े रहना होगा। अपने से दांत अलग करने पर गणेश जी भष्म हो जाएंगे।
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# दूसरी कथा यह भी है कि एक बार परशुराम जी कैलाश पधारे और उस समय भगवान शिव ध्यान में थे। गणेश जी ने परशुराम जी को शिव जी से मिलने से रोक दिया। इसके बाद परशुराम जी और गणेश जी में युद्ध होने लगा। युद्ध के दौरान परशुराम जी के फरसे से गणेश जी का एक दांत टूट गया।# गणेश जी के दांत टूटने की तीसरी कथा है कि जब महर्षि वेदव्यास जी महाभारत लिखने के लिए गणेश जी से अनुरोध किया तो गणेश जी इसके लिए मान गए लेकिन एक शर्त रख दी कि महाभारत लिखते समय मेरी लेखनी रुकनी नहीं चाहिए अगर मेरी लेखनी रुकी तो मैं आगे लिखना बंद कर दूंगा।
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# व्यास जी ने शर्त मान ली लेकिन एक शर्त उन्होंने भी रख दी कि आप मुझसे पूछे बिना एक शब्द भी नहीं लिखेंगे। गणेश जी ने व्यास जी की महाभारत जल्दी लिखने के लिए अपनी एक दांत को लेखनी बना लिया। लेकिन व्यास जी की चतुराई के कारण गणेश जी को पूरी महाभारत लिखनी पड़ी।
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# एक कथा के अनुसार गजमुखासुर नामक एक असुर से गजानन का युद्ध हुआ। गजमुखासुर को यह वरदान प्राप्त था कि वह किसी अस्त्र से नहीं मर सकता। गणेश जी ने इसे मारने के लिए अपने एक दांत को तोड़ा और गजमुखासुर पर वार किया।
# गजमुखासुर इससे घबरा गया और मूषक बनकर भागने लगा। गणेश जी ने इसे अपने पाश से बांध लिया और उसे अपना वाहन बना लिया।
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