# भगवान कालभैरव को भगवान शिव का रूप माना जाता है। इनकी पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। भैरव को खुश करने के लिए भक्त तरह-तरह के जतन करते हैं। धर्मशास्त्रों में भी कालभैरव को प्रसन्न करने के कई उपाय बताए गए हैं !
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# रोटी पर अपनी तर्जनी और मध्यमा अंगुली से तेल में डुबोकर लाइन खींचें। यह रोटी किसी भी दो रंग वाले कुत्ते को खाने को दीजिए। इस क्रम को जारी रखें, लेकिन सिर्फ हफ्ते के तीन दिन (रविवार, बुधवार व गुरुवार)। यही तीन दिन भैरवनाथ के माने गए हैं !

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# सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद कुश के आसन पर बैठें। सामने भगवान कालभैरव की तस्वीर स्थापित करें व पंचोपचार से विधिवत पूजा करें। इसके बाद रूद्राक्ष की माला से मंत्र ‘मंत्र- ‘ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:” की पांच माला जाप करें !
# ऐसे भैरव मंदिर में जाएं, जहां कम ही लोग जाते हों। वहां जाकर सिंदूर व तेल से भैरव प्रतिमा को चोला चढ़ाएं। इसके बाद नारियल, जलेबी आदि का भोग लगाएं। याद रखिए अपूज्य भैरव की पूजा से भैरवनाथ विशेष प्रसन्न होते हैं !

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# कालभैरव की पूजा का एक अन्य मंत्र है- ॐ कालभैरवाय नम:। ॐ भयहरणं च भैरव:। ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं। ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्। कम से कम 11 माला जाप अवश्य करें !
# 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ॐ नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। साथ ही, एकमुखी रुद्राक्ष भी अर्पण करें। इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं !
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