गर्मियों में सभी को ठंडा पानी ही अच्छा लगता है ज्यादातर लोग कहते है! उफ, यह गर्मी आती ही क्यों है. लेकिन क्या करे प्रकृति को भी तो अपना संतुलन बना के रखना होता है. गर्मी चाहे कितना भी कहर बरसाएँ. लेकिन कुदरत ने हमें सभी तरह की सहूलियत दी है. गर्मियाँ शुरू होते ही ठंडे पानी की इच्छा होने लगती है और ऐसे में अगर मटके का ठंडा पानी मिल जायें, तो सोने पे सुहागा, वाली बात हो जाएं. मिट्टी के घड़े की माँग गर्मियाँ शुरू होते ही होने लग जाती है. इन दिनों हर घर में मटका जरूर मिलेगा. भारतीय संस्कृति में अगर किसी चीज को पारंपरिक तौर पर अपनाया गया है मिट्टी के घड़े को गरीबों का फ्रिज भी कहा जाता है!
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बड़ों से लेकर बच्चे तक अब प्यास लगने पर फ्रिज के पानी का चुनाव करते हैं. जबकि फ्रिज का पानी किसी भी तरह से सेहत के अनुकूल नहीं हैं. फ्रिज का पानी शरीर के सामान्य तापमान की तुलना में बेहद ठंडा होता है जिसे पीने से शरीर का तापमान गड़बड़ा जाता है!
मटके का पानी पीने से होते है ये लाभदायक फायदे -
@ थकान व आँखों के लिए फायदेमंद :

मटके का पानी प्राकृतिक तौर पर ठंडा होता है, जिससे बिजली की बचत भी होती है. लंबे समय तक मटके का पानी पीने से शारीरिक थकान भी नहीं होती. सुबह उठकर घड़े का पानी पीने से दिल और आँखों की सेहत दुरुस्त रहती है. मटके के पानी में कीटाणुनाशक गुण और सही तापमान के कारण गला सही रहता है. आपने कभी ना कभी यह नोटिस किया होगा जैसे ही आप अधिक ठंडा पानी पीते है गला तुरंत खराब हो जाता है या गले में दर्द, सूजन जैसी समस्या हो जाती है. कईयों को तो टॉन्सिल भी हो जाता है. लेकिन घड़े का पानी गले की सेहत का पूरा ख्याल रखता है. अधिक ठंडे पानी से शरीर के अंग बुरी तरह से प्रभावित होते है और गले की कोशिकाओं का ताप अचानक से कम हो जाता है. इस तरह से शरीर की ग्रंथियों की क्रिया बिगड़नी शुरू हो जाती है.
@ कीटाणुनाशक गुण विधमान :

घड़े की मिट्टी में कीटाणुनाशक गुण होते है जो पानी से विषैले पदार्थ को सोखकर सूक्ष्म पोषक तत्व को मिलाती है जिससे पानी का गुण और शक्ति बढ़ जाती है. इस पानी का तापमान भी शरीर के अनुकूल रहता है. ना अधिक ठंडा और ना ही अधिक गर्म.
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@ वात को नियंत्रित करने में :
अधिकांश व्यक्ति गर्मियों में बहुत ठंडा पानी पीते है जैसे फ्रिज या बर्फ का. जबकि इनकी तासीर गर्म होती है और यह वात रोग को बढ़ावा देता है. अधिक ठंडे पानी से कब्ज का होना आम बात है. लेकिन इसके विपरीत मटके का पानी बहुत अधिक ठंडा ना होने के कारण वात को नहीं बढाता और इस पानी से संतुष्टि भी मिलती है. मटके को गेरू से रंगा जाता है जो गर्मी में शीतलता प्रदान करता है. मटके के पानी से कब्ज, गला ख़राब होना आदि रोग नहीं होते.है !
@ रोग प्रतिरोधक व p h संतुलन :

घड़े की मिट्टी में मृदा के गुण भी होते हैं जो पानी की अशुद्धियों को दूर कर लाभकारी मिनरल्स को पैदा करता है. जिससे शरीर को विषैले तत्वों से मुक्ति मिलती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में यह पानी बेहद फायदेमंद साबित हुआ हैं. घड़े की मिट्टी में क्षारीय गुण विद्यमान होते है जो पानी की अम्लता के साथ घुलकर उचित पीएच संतुलन प्रदान करता है. यानी की आपके शरीर में बेकार के एसिड को पैदा नहीं होने देता.
@ पेट सम्बन्धी तकलीफ को दूर करने में :

घड़े के पानी का तापमान सामान्य से थोड़ा ही कम होता है जो ठंडक तो देता ही है. अगर नियमित हम घड़े के पानी का सेवन करते है तो हमारी पाचन तंत्र की क्रिया को बेहतर बनाने में सहायता मिलती है. घड़े में स्टोर किया पानी पीने से शरीर में टेस्टोस्टेरॉन का स्तर बढ़ता है जिससे व्यक्ति जल्दी से तनावग्रस्त नहीं होता. मटके का पानी गर्मी में भी शीतलता प्रदान करता है. जिससे पेट की समस्या नहीं होती. क्योंकि इस पानी से पेट में भारीपन नहीं रहता और भोजन आराम से पच जाता है. घड़े के पानी को पीने से एसिडिटी पर अंकुश लगाने, पेट की जलन और दर्द से राहत प्रदान करने में मदद करता हैं.
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