हम अक्सर बाहर का तेल-मसाले वाला चटपटा और तला हुआ आहार खा लेते हैं। ऐसे में कई बार तो हमारा पेट इसे पचा लेता है, लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता है। जिसके चलते पेट दर्द होने लगता है। इसके अलावा कब्ज, एसिडिटी, पेट में जलन, पेट में गैस, दस्त, गलत खान-पान के चलते भी पेट दर्द की शिकायत हो जाती है।
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पेट दर्द से जल्दी आराम पाने के लिए हम पेनकिलर का सेवन करने लगते हैं। हालांकि पेनकिलर को लेने से हम दर्द से तो राहत पा सकते हैं, लेकिन पेट की समस्याओं का इलाज नहीं हो पाता है। इसलिए आज हम आपके लिए पेट दर्द को मिनटों में दूर करने का एक नायाब नुस्खा लेकर आये हैं। इसके सेवन से आप बहुत जल्दी पेट दर्द से राहत पा सकते हैं। आइए जानें क्या है वह नुस्खा।
पेट दर्द के लिए बिना दूध की चाय
अगर आप कभी भी पेट दर्द से परेशान हो तो आपको कुछ ज्यादा करने की जरूरत नहीं है क्योंकि बिना दूध की चाय इसे मिनटों में दूर करती है। जी हां प्राकृतिक चाय की पत्ती में एंटी ऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जिसे दूध में पाया जाने वाला तत्व कैसिन नष्ट कर देता है। एंटी-ऑक्सीडेंट के ये गुण ग्रीन और व्हाइट टी में सबसे ज्यादा होते है। लेकिन मिल्क व शुगर टी भूलकर भी ना लें। बिना दूध वाली चाय ना केवल आपके चेहरे की चमक बढ़ाती है, बल्कि पाचनतंत्र को भी ठीक करता है। और साथ ही दस्त या पेचिश होने पर बिना दूध की चाय का सेवन बहुत फायदेमंद होता है।
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बिना दूध की चाय
बिना दूध व चीनी की चाय पीने से आप ना केवल चुस्त-दुरुस्त रहते हैं, बल्कि कई बीमारियों से भी मुक्त हो जाएंगे। दूध व चीनी वाली चाय आपको सिर्फ स्वाद देती है, लेकिन चाय की पत्ती से होने वाले फायदे की जगह नुकसान पहुंचाती है। इससे आपको ना केवल गैस्ट्रिक व एसिडिटी होती है, बल्कि क्षण भर की ताजगी के बाद थकान और आलस बढ़ा देती है।
क्या कहता है शोध
चाय मानव शरीर की सबसे बड़ी ब्लड वेसल्स एओर्टा पर पॉजिटिव असर छोड़ती है। यह उत्पाद शरीर के इस अहम हिस्से को रिलैक्स रखता है। चाय से नाइट्रिक ऑक्साइड पैदा होता है जो ब्लड वेसल्स के काम को नॉर्मल बनाए रखने में मदद देता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक अगर चाय के साथ दूध मिला दिया जाए तो एओर्टा पर चाय का पॉजिटिव असर कम हो जाता है।
यूरोपियन हार्ट जर्नल के निष्कर्ष के अनुसार दूध में स्थित प्रोटीन चाय के विभिन्न तत्वों के साथ मिलकर एंटी ऑक्सीडेंट के निर्माण की प्रक्रिया को बाधित कर देता है। एंटी-ऑक्सीडेंट दिल को रोग की चपेट में आने से बचाता है।
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