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जन्म से इस परेशानी से जूझ रहा गौरव, जिस कारण उसका सीधे लेटना मुश्किल हो गया है और कपड़े भी नहीं फिट हो रहे। उसके पेरेंट्स ने बताया कि डॉक्टर्स ने उसकी पैदाइश के पांच दिन अंदर ही उसे दोबारा हॉस्पिटल बुलाया था। खराब आर्थिक हालात के चलते उसे हॉस्पिटल नहीं ले जाया जा सका, लिहाजा शुरू में उसे डॉक्टरी सलाह नहीं मिली।
पेरेंट्स बच्चे का इलाज ओझा से करा रहे थे, जो उसे भगवान का रूप बता रहा था और डॉक्टर के पास ले जाने से मना कर रहा था। ओझा ने उसके पेरेंट्स से कहा था कि बच्चे का तीसरा हाथ भगवान का तोहफा है, इसे सहेजकर रखो। गौरव की मां ने बताया कि गांव के बाकी लोग भी बच्चे को भगवान का रूप बताते और उसे पैसे चढ़ाकर जाते थे।
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डॉक्टर्स का कहना है कि पीठ पर निकले इस हाथ को अगर हटाया नहीं गया तो स्पाइनल कॉड में परेशानी बढ़ सकती है। डॉक्टर्स सर्जरी के दौरान भी स्पाइनल कॉड को नुकसान पहुंचने और पैरालाइज्ड होने का खतरा बता रहे हैं। अब गौरव की फैमिली के लिए तय करना मुश्किल हो गया है कि वो ऑपरेशन कराएं या नहीं।
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