
जी हाँ हम बात कर रहे हैं बैतूल की यहाँ मोदी का विरोध करने के लिए कांग्रेस को तीस लोग भी नहीं मिले जिससे पूछो वो मोदी ज़िंदाबाद बोलता मिला। ज़्यादा गहराई से इसको जानना चाहते हैं तो यहां आइए। दर असल बात यूँ हुई कि आक्रोश दिवस मनाने के पहले ही कई दिनों से कांग्रेस इस तैयारी में जुटी थी ज़्यादा नहीं तो कुछ हज़ार लोगों की टीम इस ज़िले से मोदी विरोध के लिए आगे आए क्यूँकि कोंग्रेसियों को लग रहा था लोग परेशान हैं और सड़क पर आ जाएँगे। लेकिन उनका सारा प्लान धरा का धरा रह गया ।

कांग्रेस के स्थानीय नेताओं की इतनी खिल्ली उड़ी की मोदी सरकार के नोटबंदी के खिलाफ वे लोग 30 से भी कम लोग जुट सके। और बस इतने से ही लोगों के साथ बेचारे वक़्त के मारे कांग्रेसियों ने पूरे शहर में रैली निकाली और फिर कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा । ऐसा मोदिमय ज़िला है बैतूल ।
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ग़ौरतलब हो कि पूरे बैतूल शहर में लोग पहले की रूटीन में अपना काम करते नजर आए और बाजार भी वैसे ही गुलजार रहा जैसे हमेशा होता है। केवल मुट्ठी भर कांग्रेसियों ने तथाकथित आक्रोश रैली निकालकर राष्ट्रपति के नाम अपने ज्ञापन को कलेक्टर को सौंपा। दोबारा बता दें कि इस नाम मात्र की रैली में 30 से भी कम कांग्रेसी कार्यकर्ता , नेता और उनके समर्थक मौजूद थे। ज़िल्लत से शर्मशार हुए कांग्रेस के प्रवक्ता हेमंत पगारिया ने कहा कि चलो अब जितने भी कार्यकर्ता आए हैं, उतने ही ठीक हैं।
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