loading...

जानिये उन 9 मंदिरों के बारे में जहां रात में जाने से डरते हैं लोग !!


तंत्र भारतीय प्राचीन विद्याओं में से है। वेदों में भी इस विद्या का विस्तार में वर्णन है. भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जो आज भी अपनी तंत्र-मंत्र के लिए प्रसिद्ध हैं. आज हम आपको ऐसे ही 9 मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां तंत्र क्रियाएं की जाती है. रात को यहां का माहौल बहुत ही ड़रावना हो जाता है और लोग जाने से ड़रते हैं.


वेताल मंदिर, (ओडिसा) :यह मंदिर 8वीं सदी में बनाया गया था. इस मंदिर में बलशाली चामुण्डा की मूर्ति है. बलशाली चामुंडा काली का ही एक रूप है. इस मंदिर में हमेशा तांत्रिक क्रियाएं चलती रहती है.



बैजनाथ मंदिर , (हिमाचल प्रदेश) :इस मंदिर में शिव भगवान का प्रसिद्ध वैधनाथ लिंग है. बैजनाथ मंदिर अपनी तांत्रिक क्रियाओं और यहां का पानी अपनी पाचन शक्तियों के लिए प्रसिद्ध है.


एकलिंग मंदिर, (राजस्थान) :भगवान शिव को समर्पित एकलिंग जी मंदिर उदयपुर के पास है. यहां शिव की एक अनोखी और बेहद खूबसूरत चौमुखी मूर्ति है जो काले संगमरमर से बनी है.



कालीघाट, (कोलकाता) :कोलकाता का कालीघाट तांत्रिकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण तीर्थ है. मान्यताओं के अनुसार इस जगह पर देवी सती की उंगलियां गिरी थी.


कामाख्या मंदिर, (असम) :असम का कामाख्या मंदिर तांत्रिक गतिविधियों का गढ़ माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस जगह पर देवी सती का योनि भाग गिरा था.

ज्वालामुखी मंदिर, (हिमाचल प्रदेश) :यह मंदिर अपने चमत्कार के साथ यहां होने वाली तांत्रिक क्रियाओं के लिए भी प्रसिद्ध है. यहां एक कुण्ड है, जो देखने पर उबलता दिखाई देता है लेकिन छूने पर पानी ठंडा रहता है.

खजुराहो मंदिर, (मध्य प्रदेश) :- खजुराहो मंदिर कलात्मक रचना और कामुक मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है. लेकिन बहुत कम है जो जानते है कि खजुराहो तांत्रिक गतिविधियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है.

काल भैरव मंदिर, (मध्य प्रदेश) :इस मंदिर में भैरव की श्याममुखी मूर्ति है. तांत्रिक क्रियाओं के लिए ये मंदिर बहुत प्रसिद्ध है. देशभर से तांत्रिक और अघोरी सिद्धियों के लिए यहां आते है.


बालाजी मंदिर, (राजस्थान) :यह मंदिर तंत्र की नजर से बहुत पवित्र माना जाता है. कहते है कि जिन लोगो पर प्रेत या आत्मा का साया पड़ जाता है वो यहां झाड़-फूंक के लिए आते है.


loading...
Previous Post
Next Post
loading...
loading...

0 comments: