
सहारनपुर, 14 नवम्बर: आज देश को 100 और 50 रुपये के नोटों की बेहद जरूरत है, इन नोटों को पाने के लिए बैंक के बाहर लम्बी लम्बी लाइनें लगी हैं, हर कोई नोट पाने के लिए तड़प रहा है, जिसके भाग्य में ये नोट आ जाते हैं उसकी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता है, ऐसे समय में जब हर कोई 100-50 के नोटों के अपना धीरज खो रहा है, एक किसान ने अपने घर में पड़े खुले पैसे बैंक में जमा करने की हिम्मत दिखाई ताकि ये नोट देशवासियों के काम आ सकें।
यह खबर उत्तर प्रदेश एक सहारनपुर जिले के गाँव पिंजौर की है, पिंजौर गाँव का निवासी शिवकुमार पाठक एक छोटा सा किसान है, उसकी जरूरतें किसानी से ही पूरी होती हैं, उसके खेत में ही अन्न और सब्जियां पैदा होती हैं और बाकी का खर्चा 2000 रुपये में चल जाता है।
शिकुमार पाठक के पास मेहनत से बचाए हुए 6000 रुपये पड़े हुए थे और सभी नोट 100 और 50 रुपये के थे, शिवकुमार ने अपने खुले पैसे को बैंक में जमा कराने की योजना बनाई और दिल्ली स्थित पंजाब नेशनल बैंक के आवास विकास शाखा में पहुँच गए।
जब उनकी बारी आयी और वे काउंटर पर पहुंचे तो उन्होंने 100-50 रुपये के नोट जमा कराने के लिए आगे बढ़ा दिए, उनसे नोटों को देखकर बैंक कर्मचारी हैरान हो गए, लोगों ने सोचा कि ये कैसा आदमी है, लोग इन नोटों के लिए मर रहे हैं और ये इन्हें जमा कराने आये हैं। जब बात बैंक मैनेजर के पास पहुंची तो उन्होंने शिवकुमार पाठक को अपने पास बुलाया और नोट जमा कराने का कारण पूछा।
शिवकुमार ने बताया कि उनके पास 6000 रुपये के खुले नोट थे, उन्होंने अपने खर्चे के लिए 3000 रख लिए आयर बाकी के 3000 वे बैंक में जमा कराना चाहते हैं ताकि देशवासियों के काम आ सकें। इस समय लोगों को इन नोटों की सख्त जरूरत है। जब बैंक मैनेजर ने शिवकुमार की बात को सुना तो उनका सीना गर्व से फूल गया और वे अपनी कुर्सी छोड़कर खड़े हो गए। उन्होने शिवकुमार को कुर्सी पर बिठाया और वहीँ पर उनके फॉर्म को भरवाकर खुद पैसा जमा किया।
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