

आपको बता दें कि भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) इस मिसाइल पर काम कर रहा है . यह भारत में विकसित होने वाली मिसाइल श्रृंखला में इकलौती ऐसी मिसाइल है जिसका तोड़ शायद दुनिया के किसी अन्य देश के पास नही होगा . इसे बनाने के लिए एक ऐसी धातु को प्रयोग किया जा रहा है जिस की वजह से विश्व का कोई भी रडार इसकी लोकेशन का पता नहीं लगा पायेगा . इसकी रफ्तार इतनी तेज होगी कि दुश्मन का रडार जब तक कुछ समझ पाएगा तब तक ये अपने निशाने को तबाह करके वहां से निकल जायगी .
इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासीयत यह है कि इसको 100 बार तक प्रयोग किया जा सकता है . जबकि अभी जितनी भी मिसाइले बनी हैं वे एक बार दागने के बाद विस्फोटक के साथ नष्ट हो जाती है लेकिन ये मिसाइल अपने टार्गेट को भेदकर नष्ट नहीं होगी बल्कि यह पुनः वापस आयेगी . बता दें कि इस मिसाइल को अपने आधार पर पुनः वापस लाने के लिए निर्देशात्मक प्रणाली (आर.जी.एस.) का इस्तेमाल किया जाएगा . इसमें रैमजेट और स्क्रैमजेट इंजन नामक वायु श्वासी प्रणोदन प्रणाली का इस्तेमाल किया गया है जो इसके उड़ान के समय आने वाली पवन हाइड्रोजन से मिश्रित कर विस्फोट होकर एक ऐसा दबाव उत्पन्न करेगी जिससे इसकी गति 7 मैक अर्थात ध्वनि की गति से 7 गुना अधिक जायेगी .
यह मिसाइल परमाणु हथियारों को ले जाकर लक्ष्य पर तेजी से हमला करने में भी सक्षम है . यही कारण है कि भारत द्वारा ऐसी मिसाइल पर तेजी से काम करने की खबर से ही दुनिया के अन्य देशो खासकर भारत के दुश्मनों की नींद उड़ी हुई है .
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