
इस किले का निर्माण आमेर के राजा भगवान दास ने करवाया था. भानगढ़ में किला है, मंदिर है, बाजार है, हवेली है और राजभवन भी है. यहाँ के राजभवन को सतमेहला कहते है क्यूंकि ये सात महलों से मिलकर बना था. लेकिन अब इनमे से केवल चार ही महल बचे है. भानगढ़ से 5 किमी दूर है सोमसागर तालाब, जिसके किनारे एक पत्थर मिला था. इसी पत्थर से पता चला की माधोसिंह अख़बार के दरबार में दीवान है. मान्यता के अनुसार एक दुष्ट जादूगर ने श्राप दिया था जिसके कारण यहाँ सब कुछ खत्म हो गया. ऐसा कहा जाता है कि भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती बेहद खुबसुरत थी.

इसी खूबसूरती पर एक शख्स फ़िदा था, जो काले जादू का महारथी था. जिस दुकान से राजकुमारी के लिए इत्र जाता था वो जादूगर उस दुकान में गया ओर उसने इत्र की बोतल पर जादू कर दिया. राजकुमारी को यह इत्र की बोतल मिली लेकिन एक पत्थर पर गिरकर टूट गयी. जादूगर ने इस बोतल में ऐसा जादू किया था कि इत्र लगाने वाले उससे प्यार करने लगे. अब इत्र पत्थर को लगा था तो पत्थर को जादूगर से प्यार हो गया. और प्यार में पड़ा पत्थर उसकी ओर चल पड़ा. पत्थर ने जादूगर को कुचल दिया लेकिन मरने से पहले उसने भानगढ़ की बर्बादी का श्राप दिया. कुछ वक़्त के बाद एक युद्ध हुआ जिसमे भानगढ़ तबाह हो गया और यहाँ रहने वाले सभी लोग मारे गए.

Like Our Facebook Fan Page
Subscribe For Free Email Updates
0 comments: