
बहुत ही कम आयु से युद्धकला सीख छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने पिता साहू जी भोंसले के हिन्दवी स्वराज के स्वप्न को पूर्ण किया। छत्रपति शिवाजी महाराज मगर उनके स्वराज के इस अभियान में सबसे बड़ी बाधा था अफजल खान, जो की आदिल शाह का सबसे बड़ा सिपहसालार था। शिवाजी महाराज ने न ही सिर्फ उसकी चालाकी को नाकाम किया, बल्कि उसकी लाखो की सेना होते हुए भी उसका वध करके दक्षिण से मुस्लिम साम्राज्य का खात्मा कर दिया।
आज बात करते हैं उस किले के बारे में, जो अफजल खान के वध के कारण प्रसिद्ध है। यह किला न केवल शिवाजी महाराज बल्कि महाराष्ट्र के गौरव का प्रतीक है। आदिल शाही सल्तनत से संघर्ष एक समय बीजापुर के सुल्तान आदिल शाह का दक्कन पर पूर्ण अधिकार था। उस दौरान बीजापुर और मराठो में युद्ध होते रहते थे, जिसमे एक युद्ध में शिवाजी महाराज के पिता जी शाह जी शाहू जी महाराज हार गए।
अपने संघर्ष को जारी रखने के लिए उन्होंने प्राण न गँवा कर उसकी दस्ता स्वीकार कर ली। जिसके बाद उन्होंने पुणे में अपने पुत्र शिवाजी महाराज को युद्ध कला में पारंगत करवाना शुरू कर दिया।
बीजापुर की आदिल शाही हुकूमत का सबसे अच्छा लड़ाका अफजल खान था। अफजल खान अपनी जीत के लिए किसी हद तक जा सकता था और कुछ भी कर गुजरने के लिए हमेशा तैयार रहता था। बीजापुर और मराठों के बीच हुई लड़ाई के दौरान आदिल शाह की मां ने मराठों पर कब्जा करने के लिए अफजल खान को भेजा था। युद्ध शुरू होने से पहले ही अफजल खान छल से शिवाजी महाराज की हत्या करना चाहता था।
शिवाजी महाराज की चालाकी चालबाजी खेलते हुए अफजल खान ने शिवाजी महाराज को प्रतापगढ़ के पास मिलने का संदेश भेजा। खान का यह संदेश शिवाजी ने स्वीकार किया और दोनों की मुलाकात का स्थान तय हुआ। अफजल खान और शिवाजी महाराज की मुलाकात प्रतापगढ़ के पास शामियाने में हुई थी।
जैसे ही शिवाजी महाराज से अफजल खान गले मिला, उसने हाथ में बंधा चाकू शिवाजी महाराज की पीठ में घोपने की कोशिश की। शिवाजी महाराज को पता था कि खान धोखा देने वाला है इसलिए वे पहले से ही हाथ में बाघनख पहने हुए थे।
और शिवाजी महाराज ने सतर्कता बरतते हुए अफजल खान का पेट बाघनख (बाघ के नाखून से बना हथियार) से चीर दिया। इस दौरान अफजल खान के वकील ने शिवाजी महाराज पर हमला करने का प्रयास किया, जिसका फायदा लेकर अफजल खान शामियाने से बाहर भागने में कामयाब हुआ। मगर शामियाने से भागे अफजल खान को शिवाजी महाराज ने दौड़ कर पकड़ा और युद्ध क्षेत्र में उसका वध किया।
नोट : पूर्वजों से हमे सीख मिलती है, और जन्मजात धोखेबाजों के सामने सेकुलरिज्म नहीं चला करता, आपने सेकुलरिज्म चलाया तो आपका नाश और आपके देश का नाश निश्चित है, जो आज भारत में हो भी रहा है, कश्मीर से लेकर केरल और बंगाल तक हालात बुरे है
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