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सनसनीख़ेज़ : अब ओवैसी ने भटकल की फाँसी पर उठा दिए सवाल , दिया घटिया बयान !!

सेकूलरिस्म के नाम पर क्या कोई देश की अदालत पर सवाल उठा देगा या कुछ भी बोलता रहेगा ? क्या कोई भी नेता लोकतंत्र और संविधान के बनाए नियमों की अपने वोट बैंक के लिए किसी भी तरह धज्जियाँ उड़ा सकता है ? क्या इस देश में ऐसे नीच नेताओं को दंड देने का कोई क़ानून नहीं है जो हर चीज़ में मुस्लिम -हिंदू घुसा देते हैं ?
बता दें कि ओवैसी ने अब ख़ूँख़ार आतंकी और उसके चार अन्य साथियों की फाँसी की सज़ा पर सवाल उठा दिए हैं और कहा है कि अगर वो मुस्लिम नहीं होते तो क्या उनको फाँसी होती ? पढ़े ओवैसी के ये ट्वीट

2013 Dilsukhnagar blast accused all get conviction Mecca Masjid blast,AJMER Dargha Blast,Malegaon blasts Will NIA get conviction these cases
Why can't our Premier Investigation Agencies show same Urgency t convict all alleged terrorist cases Demolition BabriMasjid pending since 92
dilsukhnagar bomb blast accused can be convicted in 3 years why is it taking long to convict MMasjid,Ajmer,Malegaon Can NIA throw some light
Do not be surprised the way NIA is pursuing those Bomb Blast cases where accused are Non Muslims they will be exonerated bcos of Ache Din?
इन सारे ट्वीट्स को आपने पढ़ा और देखा कि कैसे ओवैसी ने इस मुद्दे को भी हिंदू मुस्लिम मुद्दा बना दिया, कैसे बड़ी चालाकी से ओवैसी ने मासूम लोगों को मारने वाले आतंकियों का पक्ष ले लिया। यहाँ आपको एक बात और बता दें कि ऐसे नेता किस क़दर चालाकी दिखाते हैं ये भी सबको समझ लेना चाहिए इन सारे ट्वीट को करने के बाद बड़ी ही चालाकी से ओवैसी ने एक और ट्वीट कर दिया ताकि जब कोई सवाल पूछे तो बचाव के लिए ये वाला ट्वीट काम आ जाए पहले वो ट्वीट देखें
Dilsukhnagar blast courts have given a verdict which must be accepted ,terrorist should be punished
पहले सवाल उठाए, मुद्दे को हिन्दू मुस्लिम किया, फिर लास्ट में चालाकी से बयान दिया कि फ़ैसला स्वीकार है और आतंकीयों को सज़ा मिलनी चाहिए ताकि लोग जब पढ़ें तो बोले ठीक ही तो कह रहा है, लेकिन जब ओवैसी भटकल और उसके साथियों को आतंकी मानता है तो फिर सवाल क्यूँ ?
पहले के ट्वीट का क्या मतलब? आप इनके जैसे नेताओं की नियत अच्छी तरह समझ सकते हैं, आज टी वी पर यही बहस होगी कि भटकल को फाँसी होनी चाहिए या नहीं होनी चाहिए। कुछ बिकाऊ मीडिया के लोगों ने उसकी ग़रीबी और उसके बच्चों के पालन पोषण का हवाला देना शुरू भी कर दिया है।

अब इन आतंकियों को बचाने का पूरा नाटक खेला जाएगा जैसे याकूब के मामले में हुआ था। देखते हैं सेकूलरिस्म अभी और कैसे कैसे रंग दिखाता है।
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