
नई दिल्ली। पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हिंदुओं के बहुत से धार्मिक स्थान मौजूद हैं, इनमें से एक है 2000 साल पुराना माता हिंगलाज देवी का सिद्ध पीठ। ये माता हिंगलाज देवी 51 सिद्ध पीठों में से एक हैं। यहां की ख़ास बात यह है कि इस आदि शक्ति में हिंदू के साथ-साथ मुसलमान भी आस्था रखते हैं।
जानिए इस मंदिर के बारे में...
कराची से 60 किमी दूर माता का ये शक्ति पीठ मंदिर ‘नानी का मंदिर’ के नाम से फेमस है। पाकिस्तानी इसे ‘नानी का हज’ भी कहते हैं। यहां दुर्गा मां के सती रुप की पूजा की जाती है। इस मंदिर में हिन्दु-मुसलमान दोनों ही भक्ति के साथ दर्शन और पूजा करते हैं।
क्या है मान्यता…
- ऐसी मान्यता है कि जो एक बार हिंगलाज के दर्शन कर लेता है, उसे पूर्वजन्म के कर्मों का दंड नहीं भुगतना पड़ता। कहा जाता है कि इस मंदिर में गुरु गोरखनाथ, गुरु नानक देव, दादा मखान जैसे आध्यात्मिक संत भी पूजा के लिए आए थे। ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम भी इस सिद्ध-पीठ के दर्शन के लिए आए थे। रावण के वध के बाद भगवान राम को ब्रह्म हत्या का पाप लगा। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान राम ने यहां एक यज्ञ करवाया था।
- हिंदू ग्रंथों के अनुसार भगवान परशुराम के पिता महर्षि जमदग्नि ने यहां सालों तप किया था। उनके नाम से यहां एक जगह ‘आसाराम’ आज तक है। मान्यता है कि परशुराम ने कई बार क्षत्रियों का अंत किया था और उनसे प्राण रक्षा के लिए वो माता की शरण में आए। माता ने उन्हें ब्रह्मक्षत्रिय बना दिया, जिससे परशुराम ने उन्हें अभय दान दिया।
कैसा है ये मंदिर
वैष्णों देवी मंदिर की ही तरह यहां हिंगलाज माता एक गुफा में विराजमान हैं। अंदर से भी ये मंदिर लगभग वैष्णों देवी मंदिर जैसा ही दिखता है। इस मंदिर के पास से हिंगला नदी बहती है। भक्त इस नदी में स्नान के बाद मंदिर में देवी के दर्शन के लिए जाते हैं। इस मंदिर में कोई दरवाजा नहीं है। भक्त इस गुफा की परिक्रमा करते हैं। मंदिर के पास ही गुरु गोरखनाथ का एक झरना है। मानते हैं कि माता यहां सुबह स्नान के लिए आती हैं। मंदिर में सबसे पहले गणेश जी के दर्शन होते हैं, फिर माता हिंगलाज देवी के। इस मंदिर में ही ब्रह्मकुंड और तीरकुंड भी हैं ।
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