
नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के मंडी में एक रिवालसर झील है, जिसके बारे में कहा जाता है कि ये राख से बनी है। 1360 मीटर ऊंचाई पर हिमालय की तलहटी में मौजूद इस झील का शेप चौकोर है। ये हिन्दु, सिक्ख और बुद्धिस्ट के लिए पवित्र है। इस हिल स्टेशन के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।
जानिए किससे जुड़ी है इस झील की कहानी…
ये कहानी जुड़ी है महान गुरू पद्मसंभव ‘रिनपोचे’ से जो तिब्बत में बौद्ध धर्म के प्रणेता माने जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार मंडी के राजा अर्शधर की बेटी मंदरवा गुरु पद्मसंभव से शिक्षा ले रही थी और वो दोनों एक दूसरे से अध्यात्म से जुड़ने लगे थे। राजा को ये पता चला तो उसने गुरु पद्मसंभव को आग में जला देने का आदेश दिया, क्योंकि उस समय बौद्ध धर्म को शंका से देखा जाता था। राजा ने उसकी चिता इतनी बड़ी बनाई कि वो 7 दिन तक जलती रही। सात दिन के बाद वहां राख की जगह एक झील बन गई। इस झील में पद्मसंभव एक कमल पर प्रकट हुए। राजा को अपने गलत काम का पश्चाताप हुआ। उसने अपनी बेटी का विवाह गुरु पद्मसम्भव से कर दिया। ‘चोरी चोरी जब नज़रें मिलीं..चोरी चोरी फिर नींदे उड़ी’ गाने की शूटिंग यहीं हुई है।
कहा जाता है कि इस झील में जो सात फ्लोटिंग आइलैंड हैं वो तेज हवा से और प्रार्थना से अपनी जगह से हिल जाते हैं। और इनमें गुरु रिनपोचे की आत्मा बसती है। इस झील के पास 123 फीट की पद्मसंभव की भव्य मूर्ति बनी है। इसे देखने लाखों लोग यहां आते हैं। तिब्बत के लोग गुरु रिनपोचे की पूजा करने यहां आते हैं। इस झील को कमल झील भी कहते हैं।
झील में पाई जाने वाली मछलियों को भी पवित्र माना जाता है। लोग इन्हें दाने खिलाते हैं जिससे मछलियों का झुंड किनारे आ जाता है।
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