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केंद्र में मोदी और यूपी में योगी :महज 4-5 दिन में सूबे के सीएम ने दिये अहम फैसले...

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नई दिल्ली: केंद्र में मोदी और यूपी में योगी. यूपी के सीएम बनने के बाद आदित्यनाथ योगी एक्शन में हैं. कोई बड़ा फैसला तो उन्होंने नहीं किया है लेकिन उनके छोटे-छोटे फैसलों से संकेत मिलने लगे हैं कि यूपी की जनता से किए गए वादों को पूरा करने के लिए वो क्या करने वाले हैं?
वैसे तो योगी को आए 4-5 दिन ही हुए हैं लेकिन अगर आपने 3 साल से देश के पीएम नरेंद्र मोदी के काम और काम करने की शैली पर गौर किया होगा तो आपको समझ जाना चाहिए कि योगी भी वैसे ही यूपी को चलाने वाले हैं. पीएम बनने के बाद जैसे पीएम मोदी अपने दफ्तर साउथ ब्लॉक का दफ्तर देखने और कर्मचारियों से मिलने गए थे वैसे ही कल योगी लखनऊ में सचिवालय देखने गए. आगे आप जो देखेंगे उससे भी आपको लगेगा कि योगी के काम करने का स्टाइल मोदी वाला ही है.
यूपी के जनता ने समाजवादी पार्टी और बीएसपी को सत्ता से कोसों दूर धकेल कर बीजेपी को प्रचंड बहुमत देकर जमीन समतल कर दी है ताकि बीजेपी सरपट विकास, खुशहाली की गाड़ी दौड़ा सके. विकास औऱ खुशहाली की इस गाड़ी के ड्राइवर आदित्यनाथ योगी बने हैं. आदित्यनाथ योगी को 14 साल बाद बीजेपी सरकार की सत्ता मिली है. इस जिम्मेदारी का सबसे बड़ा टास्क है यूपी को बदलना, यूपी को विकास और सुशासन के रास्ते पर ले जाना. योगी ने कर्म योग यानी काम करके यूपी बदलने की शुरूआत की है.
यूपी में विकास औऱ खुशहाली की गाड़ी लेकर योगी निकल चुके हैं लेकिन वो किसी जल्दबाजी में नहीं हैं. चार दिन हो चुके हैं. संकल्प पत्र में योगी की पार्टी ने कई बड़े और राजनीतिक वादे किए थे लेकिन योगी जल्दबाजी में कुछ नहीं कर रहे हैं. उनका पूरा फोकस जड़ पर है. जड़ यानी जहां से यूपी को बदलने का काम होना है और जिनको काम करना है.
जड़ों पर चोट
योगी कैसे समस्या की जड़ों पर जाकर चोट कर रहे हैं. ये भी जानना जरूरी है कि योगी ने जो शुरूआत यूपी में की है वही शुरूआत पीएम बनने के बाद मोदी ने की थी. आदित्यनाथ योगी खुद महंत हैं. उनकी शरण में आने वाला हर बड़ा-छोटा आदमी उनके बताए रास्ते पर चलता है लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी उस रास्ते पर चल पड़े हैं जो देश बदलने के लिए पीएम मोदी ने दिखाया है. मोदी का रास्ता सही था इसका जनादेश यूपी की जनता ने उनकी झोली सवा तीन सौ सीटें देकर साबित कर दिया है.
पीएम मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को खुद झाड़ू उठाया था इस सोच के साथ कि देश बदलना है तो देश की तस्वीर भी बदलनी होगी. जैसे कभी पीएम मोदी ने न गंदगी करूंगा, न करने दूंगा की शपथ देश को दिलाई थी वैसी शपथ योगी अपने मिशन के साथी यानी अफसरों को दिला रहे हैं. 20 मार्च यूपी के सीनियर पुलिस अफसरों को योगी ने स्वच्छता की शपथ दिलाई.
स्वच्छता का संदेश
बिजली मंत्री श्रीकांत शर्मा ने मंत्री का काम संभालते ही खुद भी स्वच्छता की शपथ ली और अपनी टीम को भी दिलाई. जैसे पीएम ने स्वच्छता मिशन शुरू किया था वैसे ही यूपी में योगी ने स्वच्छता मिशन शुरू किया है. मोदी झाड़ू लिए दिखे थे. योगी झाड़ू के साथ तो नहीं दिखे लेकिन उनके फरमान पर पुलिस वाले और उनके एक मंत्री ने जरूर झाड़ू उठा लिया है. यहां बात झाड़ू की नहीं है. यहां बात है देश की तरह यूपी को भी बदलने की. जिसकी शुरूआत योगी ने मोदी के स्टाइल से की है.
झाड़ू है तो केजरीवाल की पार्टी का चुनाव निशान लेकिन यूपी में पुलिसवाले और मंत्री केजरीवाल का प्रचार नहीं कर रहे हैं बल्कि यूपी में सफाई अभियान की शुरूआत का प्रतीक हैं. सफाई का मतलब सिर्फ कूड़ा करकट की सफाई मत समझिए. ये सफाई अभियान शुरू हुआ है यूपी को बदलने के लिए जिसका वादा करके पीएम मोदी ने यूपी से वोट मांगा था.
पान-गुटका-तंबाकू पर रोक का असर
यूपी के जड़ की सफाई की मुहिम में कल योगी लखनऊ में सचिवालय के उन कमरों में चले गए जहां बरसों से किसी सीएम के पांव नहीं पड़े. कोई वीआईपी नहीं आया लेकिन किसी ने जरूरत नहीं समझी कि पान के पीक और गुटखे की थूक से रंगी दीवारों को साफ किया जाए. आगे दीवारें पीक औऱ थूक से रंगी न जाए इसलिए योगी ने सरकारी दफ्तरों में पान, गुटखा चबाने पर ही रोक लगा दी है.
कोई सरकारी बाबू मुंह में पान औऱ गुटखा दबाकर किसी से बदजुबानी और जरूरतमंद की फाइल दबाए रखने की जुर्रत नहीं करेगा. दफ्तरों का माहौल बदलेगा. काम करने वालों के लिए भी और काम कराने के लिए आने वालों के लिए भी.
योगी अभी तक किसी स्कूल के दौरे पर नहीं गए हैं लेकिन उनका अनुभव बताता है कि स्कूल के मास्टर साहब को मर्यादा और सलीके का सबक फिर याद दिलाना होगा. मास्टर साहब के लिए टी शर्ट पहनना मना है. पान-गुटखा खाना मना है. खाकर स्कूल में जो गंदगी फैलाई थी वो भी साफ करनी होगी. मोबाइल रखिए लेकिन बात करना मना है.
इसका मतलब ये है कि मास्टर साहब अनुशासन में रहिए और बच्चों को अनुशासन सिखाइए. इतना कर देंगे कि स्कूल में पढ़ना-पढाना खुद ही होने लगेगा. रही बात नकल की तो डिप्टी सीएम और उच्च शिक्षा मंत्री दिनेश शर्मा सारे डीएम से बात करेंगे कि नकल हुई तो समझिएगा कि खैर नहीं होगी.
एंटी रोमियो स्कवॉड
यूपी में चुनाव के दिनों से एंटी रोमियो स्कवॉड की बड़ी गूंज थी. योगी सरकार आते ही एंटी रोमियो मुहिम शुरू भी हो गई. ये मुहिम इस बात का संकेत है कि महिलाओं की सुरक्षा के साथ साथ योगी सरकार यूपी की कानून व्यवस्था को लेकर जरा भी ढिलाई नहीं करेगी.
संकल्प पत्र में बीजेपी ने वादा किया था कि लड़कियों की सुरक्षा और मनचलों को काबू में करने के लिए एंटी रोमियो स्क्वायड बनाएंगे. एंटी रोमियो स्क्वायड ने काम शुरू किया तो यूपी की सड़कों पर लड़कियों को सीएम योगी का पहरा मिल गया. योगी कुछ नहीं कह रहे हैं. कह तो बरसों से स्कूल जाते समय भद्दी फब्तियां औऱ इशारे झेलने वाली बेटियां कह रहे हैं.
आज यूपी के सीएम आदित्यनाथ बिना किसी को बताए डीजीपी जाविद अहमद को लेकर लखनऊ के हजरतगंज के थाना और महिला थाना जा पहुंचे. लखनऊ की एसएसपी मंजिल सैनी तक को भनक नहीं थी कि सीएम इस तरह पहुंच जाएंगे. योगी ने किया कुछ नहीं. सिर्फ पूछा.
दो दिन में करीब एक हजार लड़के-लड़कियां एंटी रोमियो स्क्वायड के हत्थे चढ़ गए. कुछ आरोप भी लग रहे हैं कि एंटी रोमियो मुहिम में बेगुनाहों, बेकसूरों को भी निशाना बनाया गया लेकिन बेटियों को बचाने की इस छोटी सी कोशिश ने बेटियों को यूपी बदलने की पहली तस्वीर दिखा दी है.
सड़क पर पुलिसवालों की ड्यूटी करते दिखने भर का साइड इफेक्ट क्या होगा? कानून व्य़वस्था टाइट हो जाएगी. कोई मनचला किसी लड़की को नजर उठाकर देखने की हिम्मत नहीं करेगा. महिलाओं के गले से चेन झपटने की फिराक में घूमने वाले उचक्के सड़क का पता भूल जाएंगे. सड़क पर हथियार लहराकर दादागीरी दिखाने वाले घर पर हथियार छोड़कर बाहर निकलेंगे.
वर्दी वालों को संदेश
इतने से वर्दी वालों को ये संदेश चला गया कि नया वाला सीएम सीएम आवास 5 कालिदास मार्ग की चारदीवारी तक सीमित रहने या फीता काटने या भाषण देने वाला नहीं है. योगी पुलिसवालों को कोसने वाले नहीं बल्कि उनकी सुनकर उनके लिए भी कुछ करना चाहते हैं ताकि यूपी में कानून का राज चले.
कत्लखानों पर असर
योगी के एक्शन में आने का असर देखिए. जो फैसला नहीं उस पर भी काम शुरू हो गया. बीजेपी ने वादा किया था कि सरकार बनते ही पहली कैबिनेट में अवैध कत्लखाने यानी गोहत्या जैसे कुकर्म बंद हो जाएंगे. कैबिनेट ने इसका फैसला किया नहीं लेकिन कई जिलों में तो अवैध कत्लखानों पर पहले ही ताले लग गए. कईयों पर बीजेपी कार्यकर्ताओं और पुलिसवालों ने मिलकर या ताले लगा दिए या उनका नाश कर दिया.
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