भारत सरकार द्वारा पांच सौ रुपये और इससे छोटे मूल्य के नोटों की छपाई और आपूर्ति पर ज्यादा जोर दे रही है, मोदी सरकार चाहती है कि लोग बड़ी राशि वाले नोटों को दबाकर न रख सकें. आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने मंगलवार को कहा कि फिलहाल पांच सौ रुपये या इससे छोटे नोटों को मार्केट में ज्यादा से ज्यादा पहुंचाने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि लोगों के पास छोटे नोटों की संख्या ज्यादा हो.

उन्होंने आगे कहा कि ऐसी आशंकाएं हैं कि 2000 रुपये के नोटों को फिर से दबाकर रखा जा सकता है, जो कि नहीं होना चाहिए. नोटबंदी के फौरन बाद 2000 रुपये मूल्य का नोट लाने के सरकार के कदम का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसके पीछे शुरुआती मकसद नई मुद्रा को जल्द से जल्द बाजार में लाना था.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कुछ दिनों पहले कहा था कि सरकार के सामने दो हज़ार रुपये के नोट को बंद करने का कोई प्रस्ताव नहीं है. जेटली ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी. उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक की तिजोरी में 10 दिसम्बर तक पुराने 500 और 1000 रुपये के बंद किए गए 12.44 लाख करोड़ नोट वापस लौटे.

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा की थी, जिसके तहत 500 और 1000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया. नोटबंदी का ये फैसला देश से कालेधन को निकालने के लिए लिया गया था. अब अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए पीएम मोदी आगे भी कुछ नए फैसले ले सकते हैं जिनसे देश को लाभ हो.
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