मलेरिया का आयुर्वेदिक उपचार ( Maleria Ayurvedic Treatment) : फूली हुई फिटकड़ी के चूर्ण चार गुना पीसी हुई खंड या चीनी अच्छी तरह मिला लें। दो ग्राम की मात्रा गुनगुने पानी से दो- दो घंटे बाद तीन बार लें। तीन खुराकों के लेने से ही मलेरिया नही रहेगा।
बुखार तब भी रहे तो आवश्यकता अनुसार एक दो खुराकें और ली जा सकती है। मलेरिया तथा तीसरे और चौथे रोज आने वाले बुखार में अचूक है। यह दवा कुनैन से भी अधिक लाभदायक है और किसी प्रकार र्गमी खुश्की नही करती।
विशेष
कम्प-ज्वर में बुखार आने से एक घंटा पहले दे तो उत्तम है। वैसे दवा लेते समय बुखार हो या न हो, इससे कोई फर्क नही पड़ता।
सावधानी:
गर्भवती स्त्री को यह ओषधि कदापि न दें।
विकल्प:
तुलसी की सात पत्तियां और काली मिर्च के सात दाने एक साथ मिलाकर चबाने से पांच बार में मलेरिया जड़ से चला जाता है। दिन में तीन बार लें। सात-सात तुलसी की कोमल पत्तियां दिन में तीन बार चबाने से भी मलेरिया और पुराण से पुरना बुखार कुछ ही दिन में जड़ से चला जाता है। अन्य विधि 60 ग्राम तुलसी की पत्ती तथा 60 ग्राम काली मिर्च दोनों को बराबर वजन मिलाकर ( पांच घंटे तक ) सील पर पीसकर जल मिलाकर एक ग्राम की तीन गोलियां बनाकर प्रात: एक गोली, दोपहर एक गोली, शाम एक गोली, देने से पसीना आकर ज्वर उतर जाता है।
यह प्रयोग शिरामवती के नाम से पं. प्रयागदीन शर्मा वैध, गोराईगंज, लखनऊ द्वारा अनुभूत है। ज्वर से पूर्व एक गोली देने पर भी पसीना आकर ज्वर उतर जाता है। बुखार का पथ्य पालन करें। विशेष 1. तुलसी की चार पत्तियां प्रतिदिन प्रात: काल सेवन करने से मलेरिया से बचा जा सकता है। 2. तुलसी की चार पत्तियां और चार काली मिर्च रोज खाने से मौसमी बुखार दूर होता है।
तुलसी की पत्तियां सात, काली मिर्च चार, पीपर ( पीपली ) एक- तीनो वस्तुओं को 60 ग्राम पानी के साथ बारीक़ पीसकर दस ग्राम मिश्री मिलाकर नित्य सवेरे खाली पेट रोगी को पिलायें तो महीनो का ठहरा हुआ जीर्ण ज्वर ठीक हो जाता है। आवश्यकता अनुसार दो-तीन सप्ताह पिलायें। विकल्प प्रात: सायं दूध में दो छोटी पीपल डालकर ओटायें और फिर पीपल निकालकर दूध का मिश्री के साथ सेवन करें तो उस दूध में पीपल के औषध गुण आ जाते है तथा वह सब प्रकार के जीर्ण-ज्वरो में हितकारी सिद्ध होता है। दूध में लोहा का आभाव होता है। इसलिए दूध में छोटी पीपर डालकर पकाने से दूध में कैल्शियम और लोह की मात्रा बड़ जाती है।
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