योगी आदित्यनाथ यूपी के न सिर्फ एक हिंदुत्ववादी अक्रामक नेता हैं, बल्कि बीजेपी के एक फायरब्रांड नेता भी हैं. पूर्वांचल के गलियारों में ऐसा कहा जाता है कि योगी आदित्यनाथ एक ऐसे नेता हैं, जिन्हें किसी पार्टी की जरूरत नहीं होती, बल्कि खुद पार्टियां उनके यहां जीत का स्वाद चखने के लिए चल कर आती हैं. कहते हैं राज्य में सरकार किसी भी पार्टी की हो मगर वो उसके समानांतर खुद की सत्ता चलाते हैं. उनका कद और छवि ऐसी है कि बीजेपी को मुख्यमंत्री का नाम घोषित करने में इतनी माथा-पच्ची करनी पड़ी.
बीजेपी अगर योगी आदित्यनाथ के नाम पर मुहर लगाने से कतरा भी रही थी तो उसकी कई मुख्य वजहें थी. सूबे के युवाओं में उनकी छवि एक कट्टर हिंदू हृदय सम्राट की है. यूपी में मुस्लिम वोट का गणित गड़बड़ न हो जाए, इसीलिए मोदी जी उन्हें सीएम बनाने से कतरा रहे थे.
चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर योगी जी में ऐसी कौन सी पांच बातें हैं, जिसके कारण बीजेपी को मुख्यमंत्री बनाने से पहले हजार बार सोचना पड़ा.
- योगी आदित्यनाथ बड़बोले हैं. वो अक्सर अपने बयानों के कारण विवाद में रहे हैं. यही वजह है कि बीजेपी मुख्यमंत्री बनाने से पहले डर रही थी कि कहीं सत्ता में आने के बाद भी योगी की ये छवि बरकरार न रहे.
- हिंदुत्व के पिच पर खेलने वाले योगी देश के सबसे कद्दावर नेताओं में से हैं. उनकी छवि एक कट्टर हिंदू की रही है. इसलिए बीजेपी राजनीतिक घाटे के ऊपर विचार-विमर्श कर रही थी.
- योगी पार्टी के खिलाफ भी बोलते रहे हैं. अगर उन्हें पार्टी में कुछ गलत दिखता है, तो वो बिना किसी चीज की परवाह किये उसकी मुखालफत करते हैं.
- भले ही मोदी जी को 2014 के चुनाव में कट्टर हिंदूवादी माना गया था. मगर हकीकत ये है कि हिंदूत्व के पिच पर खेलने वाले योगी मोदी जी से भी बड़े खिलाड़ी हैं.
- राज्य में करीब 20 फीसदी मुस्लिम आबादी है. राजनीतिक समीकरण कहीं गड़बड़ न हो जाए, ये भी एक मुख्य वजह थी.
योगी करेंगे ये काम सबसे पहले, इसी वजह से नहीं बना रहे थे मोदी जी उन्हें CM…देखें वीडियो!
बहरहाल, अब सारी अड़चनों को दरकिनार करते हुए बीजेपी ने योगी जी को यूपी का मुख्यमंत्री बना दिया है. अब देखना दिलचस्प होगा कि योगी जी बीजेपी सहित पूरे सूबे की जनता का दिल कैसे जीतते हैं और कैसे यूपी को बीमारू राज्य के तमगे से आज़ाद कराते हैं.
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