
बापू नादकर्णी टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में एक ऐसा नाम है, जो अद्भुत रिकॉर्ड रखते हैं. उन्हें सबसे कंजूस गेंदबाज के तौर पर हमेशा याद किया जाएगा. आज (4 अप्रैल) उनका जन्मदिन है. वे आज 84 साल के हो गए.
बापू ने अंग्रेजों को रन के लिए तरसाया था
बापू ने अपने लेफ्ट आर्म स्पिन की बदौलत 1964 में मद्रास टेस्ट में इंग्लैंड के खिलाफ एक के बाद एक 131 गेंदें फेंकीं, जिन पर एक भी रन नहीं बना. उस पारी में उन्होंने कुल 32 ओवर में 27 मेडन फेंके, जिनमें 21 लगातार थे. और 5 रन ही दिए. उनका गेंदबाजी विश्लेषण रहा- 32-27-5-0.
बापू ने अपने लेफ्ट आर्म स्पिन की बदौलत 1964 में मद्रास टेस्ट में इंग्लैंड के खिलाफ एक के बाद एक 131 गेंदें फेंकीं, जिन पर एक भी रन नहीं बना. उस पारी में उन्होंने कुल 32 ओवर में 27 मेडन फेंके, जिनमें 21 लगातार थे. और 5 रन ही दिए. उनका गेंदबाजी विश्लेषण रहा- 32-27-5-0.
उनकी हैरान कर देने वाली खासियत
वे नेट्स पर सिक्का रखकर गेंदबाजी करते थे. उनकी बाएं हाथ की फिरकी इतनी सधी थी कि गेंद वहीं पर गिरती थी. टेस्ट करियर में बापू की 1.67 रन प्रति ओवर की इकोनॉमी रही. बापू 41 टेस्ट खेले, 9165 गेंदों में 2559 रन दिए और 88 विकेट झटके.
वे नेट्स पर सिक्का रखकर गेंदबाजी करते थे. उनकी बाएं हाथ की फिरकी इतनी सधी थी कि गेंद वहीं पर गिरती थी. टेस्ट करियर में बापू की 1.67 रन प्रति ओवर की इकोनॉमी रही. बापू 41 टेस्ट खेले, 9165 गेंदों में 2559 रन दिए और 88 विकेट झटके.
बैट्समैन ओर फील्डर भी गजब के
क्रिकेट के हर डिपार्टमेंट में माहिर बापू न सिर्फ अपने स्पिन से बल्लेबाजों का बांधा, बल्कि उनकी बल्लेबाजी भी गजब की थी. वे एक हिम्मती फील्डर भी थे, जो फील्ड पर बल्लेबाज के सामने खड़े होते थे. बापू ने इंग्लैंड के खिलाफ 1963-64 सीरीज में कानपुर में 122 रनों की पारी खेलकर भारत को हार से बचाया था.
क्रिकेट के हर डिपार्टमेंट में माहिर बापू न सिर्फ अपने स्पिन से बल्लेबाजों का बांधा, बल्कि उनकी बल्लेबाजी भी गजब की थी. वे एक हिम्मती फील्डर भी थे, जो फील्ड पर बल्लेबाज के सामने खड़े होते थे. बापू ने इंग्लैंड के खिलाफ 1963-64 सीरीज में कानपुर में 122 रनों की पारी खेलकर भारत को हार से बचाया था.
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