
नई दिल्ली: गौरक्षकों पर लगाम लगाने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने छह राज्यों को नोटिस जारी किया है. ये छह राज्य हैं गुजरात, महाराष्ट्र, यूपी, झारखंड, कर्नाटक, और राजस्थान. सुप्रीम कोर्ट ने इन राज्यों से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है. गोरक्षा के नाम पर जिस तरह से अलवर में पहलू खान नाम के शख्स की हत्या हुई है, वैसी कुछ और वारदात पिछले दिनों में हो चुकी है, उससे जुड़ी याचिका पर ही आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है.
इस मामले में अब अगली सुनवाई तीन मई को होगी. याचिकाकर्ता ने अलवर की घटना पर राजस्थान से जवाब तलब करने की मांग रखी. लेकिन कोर्ट ने किसी विशेष घटना पर नोटिस जारी करने से मना कर दिया. अलवर कांड को लेकर कल संसद में भी जबरदस्त हंगामा हुआ था.
कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गौरक्षकों पर सवाल उठा चुके हैं. कह चुके हैं कि गाय की रक्षा के नाम पर सक्रिय 80 फीसदी से ज़्यादा लोग आपराधिक गतिविधियों में शामिल हैं. फिर भी इनके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई न होना हैरानी की बात है.
याचिका के मुताबिक कई राज्य बकायदा गौरक्षक संगठनों को मान्यता देते हैं. उनके सदस्यों को पहचान पत्र जारी किये जाते हैं. कुछ राज्यों में तो उन्हें सरकारी कर्मचारी जैसा दर्जा हासिल है. याचिका में जिन छह राज्यों के इस तरह की व्यवस्था होने की बात कही गई है, उन्हीं को आज कोर्ट ने नोटिस जारी किया है.
याचिका में गौरक्षा दलों को बंद करने की मांग करते हुए नलिनी सुंदर मामले का हवाला दिया गया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का सामना करने के लिए बनाए गए संगठन सलवा जुडूम को अवैध करार दिया था. कोर्ट ने कहा था कि लोगों की रक्षा सरकार का काम है. नागरिकों के किसी प्रतिरक्षक संगठन को मंजूरी नहीं दी जा सकती.
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