कांग्रेस और यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी पार्टी के सांसदों को हनुमान जयंती पर रात के खाने पर बुलाया. इस बार ये डिनर किसी 5 स्टार होटल में नहीं, बल्कि संसद भवन के 70 नंबर कमरे में था. परोसा गया खाना भी संसद की कैंटीन का था.
सब कुछ ठीक ही दिख रहा था, लेकिन जब आज तक ने पड़ताल की तो जानकारी मिली कि यूपीए सरकार के दौरान जिस सोनिया के बुलाये लंच या डिनर में सांसद 30 मिनट पहले पहुंच जाते थे, उसमें लोकसभा के 44 और राज्यसभा के 59 यानी कुल 103 कांग्रेस सांसदों में से आधे से कम ही 8 बजे यानी तय वक़्त पर पहुंचे, हां, सोनिया, राहुल और मनमोहन ठीक 8 बजे पहुंच चुके थे.
समय रात 8 बजे का था, लेकिन कई कांग्रेसी सांसद 8 बजे के बाद पहुंचे. सोनिया, राहुल और मनमोहन के बाद कई सांसद पहुंचे, ये नज़ारा यूपीए की सरकार के दौरान सोचना भी शायद गलत होता. पर सत्ता क्या चीज़ है, सत्ता क्या होती है, सत्ता में कितना चुम्बक होता है, ये इस डिनर में साफ नजर आ गया.
जिस सोनिया के सामने वक़्त का पाबंद होने का दावा होता था, कांग्रेसी सांसद वक़्त से पहले हाज़िर होते थे, वो ही आज की सियासी हक़ीक़त का नज़ारा पेश कर रहे थे. सच है कि, सत्ता का चुम्बक और चाबुक ही है जो सबको राइट टाइम रखता है, वरना तुम कौन, मैं खामखां...
यू हीं नहीं आज पीएम मोदी की मीटिंग में कोई सांसद देर से नहीं आता, मोदी के आने से पहले सब पहुंच जाते हैं, कुछ ऐसा ही यूपीए सरकार के दौरान सोनिया के बुलावे पर भी होता था, लेकिन सही है, ये वक़्त वक़्त की बात है...
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