देश की सवा सौ करोड़ की आबादी में 65 प्रतिशत लोग 35 साल से कम आयु के हैं. इस युवा आबादी वाले देश में आधी आबादी 25 साल या उससे कम उम्र के लोगों की है. एक साल पहले विकासशील समाज अध्ययन पीठ (सीएसडीएस) ने कोनराड एएनाऊर स्टिफटुंग (केएएस) ने एक सैंपल सर्वे किया. इस सर्वे में शामिल होने वाले युवाओं की उम्र 15 से 34 के बीच थी. इस सर्वे में पूरे देश के युवाओं से राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक-सांस्कृतिक और तकनीकी परवरिवर्तन से जुड़े सवाल पूछे गए.
सर्वे में मिले नतीजों की तुलना 2007 के सीएसडीएस-केएएस से तुलना करके उनके नजरिए में आए बदलाव का विश्लेषण किया गया. जिसके परिणामस्वरूप राजनीतिक पसंद- एक साल पहले जब ये सर्वे किया गया तो युवाओं के बीच सबसे लोकप्रिय पार्टी भाजपा थी. सर्वे में शामिल हर 5 में से एक युवा भाजपा समर्थक था. वहीं हर 10 में से एक युवा कांग्रेस समर्थक था. गौरतलब है कि सर्वे में शामिल करीब आधे युवाओं ने किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़ाव की बात नही कही. 48 प्रतिशत युवाओं ने कहा कि उन्हें कोई राजनीतिक पार्टी पसंद नहीं है. 20 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें भाजपा पसंद है. 10 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें कांग्रेस पसंद है. समाजवादी पार्टी को पसंद करने वाले नौजवान 4 प्रतिशत थे. वहीं दो प्रतिशत नौजवानों ने वामपंथी दलों को अपनी पसंद बताया. जबकि 16 प्रतिशत युवाओं ने अन्य पार्टियों के नाम लिए.
आम तौर पर माना जाता है कि धर्म से आदमी का लगाव बुढ़ापे में बढ़ता है लेकिन ये सर्वे एक अलग ही तस्वीर पेश करता है. सीएसडीएस-केएस सर्वे 2016 में शामिल हर तीसरा नौजवान या तो बहुत ज्यादा धार्मिक या ज्यादा धार्मिक था. सर्वे में शामिल 36 प्रतिशत युवाओं ने खुद को कम धार्मिक और 25 प्रतिशत युवाओं ने सामान्य धार्मिक बताया. 12 प्रतिशत ने खुद को बहुत ज्यादा धार्मिक, 23 प्रतिशत ने ज्यादा धार्मिक और चार प्रतिशत ने अधार्मिक बताया.
इस सर्वे में बेरोजगारी देश की सबसे बड़ी समस्या के तौर पर सामने आई है. नौकरी के मामले में भारतीय युवाओं की पहली पसंद सरकारी नौकरी है. 2016 के सर्वे में शामिल 65 प्रतिशत युवाओं ने सरकारी नौकरी को अपनी पहली पसंद बताया. 19 प्रतिशत ने अपना कारोबार या काम करने की बात कही. केवल 7 प्रतिशत युवाओं ने प्राइवेट सेक्टर की नौकरी को अपनी प्राथमिकता बताई. वहीं सर्वे में शामिल नौ प्रतिशत युवाओं ने इस सवाल का जवाब देना उचित नहीं समझा. इस सर्वे से एक बात जो निकल कर सामने आई वो यह की आज के समय में वामपंथ की सच्चाई देश का युवा समझ चुका है . इसलिए उसका झुकाव अब हिन्दुत्व की और बढ़ रहा है.
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