# भगवान् शंकर के अवतारों मे भैरव जी का अपना ही एक विशिष्ट स्थान है| भ – से विशव का भरण, र – से रमेश, व् – व् से वमन , अर्थात सृष्टि की उत्पत्ति, पालन और सहांर करने वाले शिव ही भैरव हैं|
# भैरव यंत्र की बहुत विशेषता मानी गई है, भैरव साधना अकाल मौत से बचाती है, तथा भूत प्रेत, काले जादू से भी हमारी रक्षा करता है|
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!! श्री भैरव जी की आरती !!
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा !
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा !!
तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक !
भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक !!
वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी !
महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी !!
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तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे !
चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे !!
तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी !
कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी !!
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पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत !
बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत !!
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें !
कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें !!
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