# उज्जैन महाकाल और भगवान भैरव की नगरी | आज हम आपको भैरव से संम्बंधित रोचक बातें बताते हैं | उज्जैन मे स्थापित विश्व प्रसिद्ध श्री कल भैरव मंदिर है | जैसा की हमे पता है, कि काल भैरव के प्रत्येक मंदिर में भगवान भैरव को मदिरा प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती है !
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# लेकिन उज्जैन के प्राचीन काल भैरव मंदिर मे भगवान काल भैरव साक्षात मदिरा का सेवन करते हैं | यहाँ स्थित श्री काल भैरव के मुंह के पास मदिरा का पात्र रखने से मदिरा समाप्त हो जाती है !
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रहस्यता -
# श्री काल भैरव का जन्म क्रोध एवं अग्नि से उत्पन्न हुआ है इसलिए वे महाक्रोधी देवता कहलाते हैं किन्तु वे परम दयालु और क्षण में प्रसन्न होकर कृपा करने वाले करूणानिधि भी हैं । कहा जाता है, की उनके क्रोध को शांत करने के लिए उन्हें मदिरा चढ़ाया जाता है !
# देश-विदेश से आए श्रद्धालु प्रतिमा को साक्षात मदिरा पान करते देखने आते हैं और देख कर अच्म्भित हो जाते हैं | मदिरा भगवान के द्वारा कैसे पी ली जाती है, इस रहस्य का आज तक कोई भी पता नही कर सका !
# देश-विदेश से आए श्रद्धालु प्रतिमा को साक्षात मदिरा पान करते देखने आते हैं और देख कर अच्म्भित हो जाते हैं | मदिरा भगवान के द्वारा कैसे पी ली जाती है, इस रहस्य का आज तक कोई भी पता नही कर सका !
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# ब्रिटिश साम्राज्य मे अंग्रेजों ने प्रतिमा के चारों और बहुत लंबी खुदाई कराई लेकिन उन्हें पता नही चल पाया की ये मदिरा कहाँ जाती है | उसके बाद नासा ने भी आकर अपने सारे प्रयतनों के द्वारा पता लगाने की कोशिश की लेकिन उन्हें भी निराश ही होना पड़ा !
पौराणिक कथा-
# हिन्दू धर्म ग्रन्थ स्कन्द पुराण के अनुसार भगवान कालभैरव का जन्म शिवजी के तीसरे नेत्र से हुआ है| ब्रह्मा जी ने जब चार वेदों को रचना के बाद पांचवा वेद लिखने की ठानी| उनके इस फैसले से सारे देवताओ में हलचल मच गई| तभी सभी देवताओ ने फैसला लिया कि इस संकट से भगवान शिव ही उन्हें उभारेंगे !
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# सब भगवान शिव के पास गए और प्रार्थना की| भगवान शिव ने ब्रह्मा जी से अपना हाथ छोड़ने को कहा| परंतु ब्रह्मा जी ने मना किया और कहा कि वो पांचवा वेद जरूर लिखेंगे !
# इतना सुनते ही भगवान शिव गुस्से में आ गए| गुस्से में उनका तीसरा नेत्र खुला जिससे कालभैरव उत्पन्न हुए| कालभैरव ने ब्रह्मा जी का पांचवा सर काट डाला| जिसके बाद सब शांत हुआ !यह भी पढ़े ➩
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