# हिंदू हो या कोई अन्य धर्म, सभी धर्मों में दान को सबसे महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। भारत में अलग-अलग जगहों पर विविध प्रकार की अस्था, रस्म और मान्यताएं देखने को मिलती हैं।
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# ऐसा ही एक मंदिर है उत्तराखंड में जहां दान के बदले चोरी की मान्यता है। जबकि मंदिर में चोरी तो महापाप होता है लेकिन इस मंदिर की कुछ ऐसी ही मान्यता है जहां पर चोरी करने के बाद ही आपकी मनोकामना पूरी होगी।
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# आज हम आपको इक एसे मंदिर के बारे में बता रहे जहां चोरी करने से आपकी सम्पूर्ण मनोकामना पूरी होगी ! ये अनोखा मंदिर है सिद्धपीठ चूड़ामणि देवी का मंदिर ! तो हम आपको बताते हैं की आखिर क्यों यहां चोरी करने के बाद पूरी होती है मनोकामना।
# ऐसी मान्यता है कि जिन्हें पुत्र की इच्छा होती है वो जोड़ा इस मंदिर में आकर माता के चरणों से लोकड़ा यानि लकड़ी से बना गुड्डा अपने साथ चोरी करके ले जाता है और पुत्र प्राप्ति के बाद उस जोड़े को बेटे सहित यहां पर माथा टेकने आना होता है।
# मान्यता के अनुसार, पुत्र प्राप्ति के बाद भंडारा कराने के साथ दंपति आषाढ़ माह में मंदिर से चोरी किए हुए लोकड़े के साथ एक अन्य लोकड़ा भी अपने पुत्र के हाथों चढ़वाते हैं।
# मान्यता के अनुसार, पुत्र प्राप्ति के बाद भंडारा कराने के साथ दंपति आषाढ़ माह में मंदिर से चोरी किए हुए लोकड़े के साथ एक अन्य लोकड़ा भी अपने पुत्र के हाथों चढ़वाते हैं।
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# स्थानीय लोग बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण 1805 में लंढौरा रियासत के राजा ने करवाया था। एक बार जब राजा शिकार करने जंगल आए तो उन्हें माता की पिंडी के दर्शन हुए और उन्होंने पुत्र प्राप्ति की मन्नत मांगी। मनोकामना पूरी होने पर राजा ने मंदिर का निर्माण करवाया।
# ऐसा भी कहा जाता है कि आज जहां भव्य मंदिर बना हुआ है, वहां पहले घनघोर जंगल हुआ करता था। जहां शेरो की दहाड़ सुनाई पड़ती थी। माना जाता है कि माता की पिंडी पर शेर भी रोजाना माथा टेकने आते थे।
# ऐसा भी कहा जाता है कि आज जहां भव्य मंदिर बना हुआ है, वहां पहले घनघोर जंगल हुआ करता था। जहां शेरो की दहाड़ सुनाई पड़ती थी। माना जाता है कि माता की पिंडी पर शेर भी रोजाना माथा टेकने आते थे।
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