!! भैरव जी आरती !!
" जय भैरव देवा प्रभु जय भैरव देवा !
जय काली और गौरा कृतसेवा !!
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" तुम पापी उद्धारक दुख सिन्धु तारक !
भक्तों के सुखकारक भीषण वपु धारक !!
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" वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी !
महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी !!
" तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होवे !
चतुर्वतिका दीपक दर्शन दुःख खोवे !!
" तेल चटकी दधि मिश्रित माषवली तेरी !
कृपा कीजिये भैरव करिये नहीं देरी !!
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" पैरों घुंघरू बाजत डमरू डमकावत !
बटुकनाथ बन बालक जन मन हरषवत !!
" बटुकनाथ की आरती जो कोई जन गावे !
कहे धरणीधर वह नर मन वांछित फल पावे !!
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