loading...

जानिए :एकादशी का व्रत क्यों है सर्वश्रेष्ठ और परम फलदायक ?

Image result for र भगवान विष्णु

# संस्कृत शब्द एकादशी का शाब्दिक का अर्थ ग्यारह होता है। एकादशी पंद्रह दिवसीय पक्ष ( कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष ) के ग्यारवें दिन आती है। शास्त्रों के अनुसार हर वैष्णव को एकादशी के दिन व्रत करना चाहियें। यह ब्रत मनुष्य जीवन के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। 28 अगस्त को जया एकादशी व्रत है।


# पुराणों में सभी व्रतों में एकादशी व्रत का बड़ा महत्व बताया गया है। पूरे साल में 24 एकादशी आती है । एकादशी का आरम्भ उत्पन्ना एकादशी से होता है। ऎसी मान्यता है कि इसी एकादशी से एकादशी के व्रत की शुरुआत हुई थी। शास्त्रों के अनुसार सतयुग में इसी एकादशी तिथि को भगवान विष्णु के शरीर से एक देवी का जन्म हुआ था। उस देवी ने भगवान विष्णु के प्राण बचाए थे जिससे प्रसन्न होकर श्री विष्णु जी ने इन्हें एकादशी नाम दिया।शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करता है उसके कई जन्मों के पाप कट जाते हैं और व्यक्ति विष्णु लोक में स्थान प्राप्त करता है। शास्त्रों के अनुसार एकादशी का ब्रत रखने वाला संसार की मोहमाया के प्रभाव से मुक्त हो जाता है, उसमें बुराइयाँ समाप्त होती जाती है और एकादशी के ब्रत के पुण्य के प्रभाव से वह व्यक्ति विष्णु लोक में स्थान पाता है।

Related image

# एकादशी के ब्रत को सभी ब्रतों में श्रेष्ठ माना जाता है । इस दिन योग्य ब्राह्मणो को यथा शक्ति दान दक्षिणा भी देना चाहिए । इस व्रत को करने से समस्त इच्छ‌ाएं पूर्ण होती हैं और भगवान श्री हरि विष्णु और माँ लक्ष्मी अति प्रसन्न होते हैं। जातक को जीवन में धन, यश, आरोग्य, विघा, योग्य पुत्र , पारिवारिक सुख, ऐश्वर्य तथा मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है और अंत में वह विष्णु लोक को जाता है। उसके पितृ भी तर जाते है, उन्हें स्वर्ग में स्थान मिलता है। जातक की आने वाली पीढियों को भी इस ब्रत का लाभ मिलता है। इसलिए यह व्रत सर्वश्रेष्ठ और परम फलदायक है।
# हिन्दु धर्म के सभी धर्म ग्रन्थ एकादशी के दिन पूर्ण रूप से उपवास करने को करते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस पृथ्वी में पुण्य फलो की प्राप्ति के लिए आठ वर्ष से अस्सी वर्ष तक के सभी मनुष्यों को एकादशी के दिन व्रत अवश्य ही रखना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार जो पूर्ण रूप से उपवास नहीं कर सकते है वह दोपहर या संध्या काल में एक बार भोजन कर सकते हैं। परन्तु इस दिन किसी कोई भी , किसी भी रूप या स्थिति में अन्न को ग्रहण नहीं करना चाहिये। 


# एकादशी व्रत करने की इच्छा रखने वाले मनुष्य को एकादशी से एक दिन पहले दशमी के दिन मांस, प्याज, लहसुन , मसूर की दाल आदि निषेध वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए एवं रात्रि को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए 
एकादशी से एक दिन पहले अर्थात दशमी के दिन रात को सोने से पहले अच्छी तरह दाँत को साफ करके सोना चाहिए
# एकादशी के दिन प्रात: लकड़ी का दातुन या मँजन न करें, वरन उँगली से कंठ को अच्छी तरह से साफ कर लें, और पानी से बारह बार कुल्ला कर लें। फिर स्नानादि कर गीता पाठ एवं उस दिन की एकादशी की कथा को पढ़े करें या पुरोहितजी से श्रवण करें। उस दिन ब्रत करने वाले को प्रभु के सामने यह प्रण करना चाहिए कि ' आज मैं कोई भी बुरा काम, बुरा आचरण नहीं करूँगा , किसी का दिल नहीं दुखाऊँगा ना ही दुष्ट मनुष्यों से बात करूँगा और रात्रि को जागरण कर कीर्तन करूँगा।'
# एकादशी के दिन 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' इस द्वादश मंत्र का अधिक से अधिक जाप करें। इस दिन विष्णु के सहस्रनाम भी पाठ करें । भगवान विष्णु से प्रार्थना करें कि- हे ईश्वर आप मुझे इस ब्रत को विधिपूर्वक पूरा करने की शक्ति प्रदान करना।

Image result for र भगवान विष्णु


# इस दिन यदि भूलवश कोई बुरा आचरण हो भी जाय तो प्रभु श्रीहरि की पूजा कर उनसे क्षमा माँग लेना चाहिए। एकादशी के दिन ना तो घर में झाड़ू लगाएं और ना ही इस दिन बाल कटवाएं । इस दिन अधिक बोलना भी नहीं चाहिए। क्योंकि अधिक बोलने से मुख गलत शब्द भी निकल जाते हैं। एकादशी के दिन क्रोध नहीं करते हुए मीठे, मधुर वचन ही बोलने चाहिए।
एकादशी के दिन निम्न चीज़े अवश्य करे -
# एकादशी के दिन यथाशक्ति दान अवश्य ही करना चाहिए।
# इस दिन चाहे आपने ब्रत रखा हो या नहीं लेकिन आप किसी भी दूसरे मनुष्य का दिया हुआ अन्न बिलकुल भी ग्रहण न करें। ।
# ब्रत रखने वाले को एकादशी के दिन गाजर, शलजम, गोभी, पालक, कुलफा का साग इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए।
Image result for र भगवान विष्णु


# इस दिन दूध, सेब, आम, अंगूर, मेवो में बादाम, पिस्ता , दूध इत्यादि का सेवन करें।

इस दिन प्रत्येक वस्तु को प्रभु को भोग लगाकर तथा तुलसीदल छोड़कर ग्रहण करना चाहिए।
#  एकादशी के अगले दिन अर्थात द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को मिष्ठान्न, दान दक्षिणा अवश्य ही देना चाहिए और उन्हें भोजन कराने के बाद ही स्वयं भोजन करना चाहिए ।
# जया एकादशी व्रत से मिलती है पिशाच योनी से मुक्ति। शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति श्रद्घा पूर्वक जया एकादशी का व्रत रखता है वह ब्रह्महत्या जैसे महापाप से छूट जाता है। इस व्रत के पुण्य से व्यक्ति को पिशाच योनी से भी मुक्ति मिल जाती है।
# शास्त्रों में बताया गया है कि इस व्रत के दिन पवित्र मन से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। मन में द्वेष, छल-कपट, काम और वासना की भावना नहीं लानी चाहिए। नारायण स्तोत्र एवं विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए। इस प्रकार से जया एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती।
loading...
Previous Post
Next Post
loading...
loading...

0 comments: