
एक बार फिर मोदी जी को बदनाम करने की साज़िशें रची जा रही हैं और उसके लिए सितम्बर महीने में 102 लाख करोड़ जमा होने पर बवाल मचाया जा रहा है । बता दें कि आरबीआई के आंकड़ों की माने तो सितंबर 2016 में बैंकों ने कुल 102,08,290 करोड़ रूपये बैंकों में जमा किये जो कि अगस्त 2016 से 5.89 लाख करोड़ ज्यादा थे । नीचे देखिए इन आकड़ों से समन्धित एक ब्योरा ।
और इसी बात को बार बार उछालकर मोदी विरोधी लोग बड़ी बड़ी बातें बता रहे हैं लेकिन हम आपको असलियत बताते हैं जो आपको ध्यान से पढ़ना चाहिए ।
वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि सितंबर 2016 में बैंक डिपाजिट में आये उछाल का प्रमुख कारण सातवां वेतन आयोग है, जिसमे लोगों के खातों में बकाया राशि जमा की गई थी।
इंडिया रेटिंग्स के अर्थशास्त्री डीके पंत ने इस पर ख़ुलासा करते हुए कहा कि इसको आईडीएस स्कीम से इसे जोड़ा जा सकता है । बता दें कि मोदी जी ने 45 % टैक्स देकर अपने पैसे का ख़ुलासा करने की अपील की थी और उसकी अंतिम समयावधि तीस सितंबर थी । आपको पता होना चाहिए कि इस स्कीम में 65 हज़ार करोड़ रुपए जमा हुए थे जिसमें से 80 % से भी ज़्यादा केवल सितंबर माह में जमा किए गए थे ।

ग़ौरतलब है कि जून जुलाई में ही प्रधानमंत्री मोदीजी ने 30 Sep तक का समय सभी कारोबारियों और ब्लैकीयों को कड़े शब्दों में दिया था कि 30 Sep तक जो भी है काला धन है वह जमा करवा दें । उसके बाद मैं सख़्त कार्यवाही करूँगा तो लाखों कारोबारियों ने अपना पैसा काला पैसा नीला पैसा जमा करवाना तभी से शुरू कर दिया था और सबसे ज़्यादा रक़म सितम्बर महीने में जमा हुई थी । यहाँ एक और बात बता दें कि सितम्बर में छः महाई बन्दी होती है ,बैंको को अपने लक्ष्य पुरे करने होते है ।
इसलिए सितम्बर महीने में 102 लाख करोड़ जमा होने पर सवाल उठाने वाली बात में कोई दम ही नहीं है । इसपर कोई सवाल उठाया ही नहीं जा सकता और सवाल उठाने वालों को मूर्ख कहना ही ज़्यादा ठीक रहेगा और ऐसे लोग देश की जनता को कैसे भी बहकाना चाहते हैं और इस देश का विकास नहीं चाहते ।
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