
आज ये इलाका कोठों का जिला कहा जाता है। जिसके चारों ओर एक दीवार की बाऊंड्री कर दी गई है। इसी चार दीवारी के अंदर गलियां, चाय और राशन की दुकानें मौजूद हैं। बाहर के समाज से अलग इस कोठों के जिले में अपना कानून चलता है। कोठों में युवा लड़कियों की मांग बेहद ज्यादा है। वे वहां बॉडेंड गर्ल के नाम से जानी जाती हैं। इन लड़कियों की उम्र 12 से 14 साल के बीच ही होती है। पांच साल बाद उन्हें कोठे को छोड़कर बाहर कहीं भी जाने की आजादी मिल पाती है।
जिन महिलाओं के पास बाहर अपना समाज होता है जिसमें वो जाकर नई जिंदगी शुरू कर सकें वो तो चली जाती हैं लेकिन जिनके पास कोई चारा नहीं होता वो यहीं रहकर हर घंटे अपना शरीर नुंचवाती हैं। कुछ महिलाएं यहीं रहकर बाहर अपने बच्चों को पढ़ाती हैं।

साल 2014 में ये कोठे यहां से हटा दी गए थे, लेकिन लोकल एनजीओ की मदद से दोबारा यहां वेश्यावृत्ति को इजाजत मिल गई। यहां जन्मीं कई महिलाएं यहीं वेश्या बनकर रह रही हैं।
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