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उत्तर प्रदेश 2017 चुनाव में मायावती को वोट देने से पहले, 1 बार ये बात जरूर सोचें "दलित"


पिछले दिनों ED ने खुलासा किया कि नोटबंदी के बाद मायावती की पार्टी और उसके भाई के अकाउंट में करोडो रुपए जमा हुए 
अपने ऊपर हो रहे जांच को मायावती ने बीजेपी की साजिश बता दिया और कहा कि , 'बीजेपी मुझे इसलिए निशाना बना रही है क्योंकि मैं दलित हूँ'

मायावती हर बार बताती रहती है कि वो दलित है , दलित की बेटी है, दलित समाज की मसीहा है बड़ी चिंतक है 
और उत्तर प्रदेश के दलित मायावती को बार बार वोट  है

अभी बीते दिनों पश्चिम बंगाल में दंगे हुए, पश्चिम बंगाल में हावड़ा जिले के धुलागढ़ और बीरभूम जिले के एक गाँव में दंगे हुए 
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जहाँ मुस्लिमो ने हिन्दुओ को निशाना बनाया और गौर करने वाली बात ये है कि 90% पीड़ित दलित समुदाय से ही है , दलितों का घर लुटा गया, दलितों की दुकानें लूटी गयी, दलितों को मारा गया 

पर दलितों की मसीहा यानि मायावती पश्चिम बंगाल दंगो पर अबतक मौन है, पश्चिम बंगाल जाना तो दूर, मायावती के मुंह से एक शब्द भी नहीं निकल रहा 

मुस्लिम वोट बैंक के आगे दलित मरे, लुटे जाये क्या फर्क पड़ता है 
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उत्तर प्रदेश में 2017 में फिर चुनाव है और मायावती स्वयं को दलितों का सबसे बड़ा महीसा सिद्ध करेंगी , यूपी के दलितों को किसे वोट करना है ये फैसला तो उनको स्वयं करना है 

हम बस दलितों से ये कहना चाहते है कि, जो कथित रूप से दलितों की महीसा बन रही है , पश्चिम बंगाल में दलितों पर ही अत्याचार हो रहा है पर मायावती मौन है, उनके मुह से 1 शब्द तक नहीं निकल रहा 
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मायावती को वोट देने वाली दलित एक बार स्वयं सोचें कि मायावती क्या सचमे उनकी हितैषी है 
और जो भारत में दलित चिंतक घूम रहे है क्या वो असल में दलितों की चिंता करते है , क्योंकि सभी पश्चिम बंगाल में हो रहे दलितों अत्याचार पर बिलकुल मौन है 

वैसे एक बात बात दें कि "बहनजी" का मतलब भी मोटा मोटा "दीदी" ही होता है।
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